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Mohammed Shami Energy Drink Controversy : मोहम्मद शमी पर बरेली के मौलाना का विवादित बयान: “रोजा ना रखने से गुनाह किया, माफी मांगें”

मोहम्मद शमी के समर्थन में उतरे पूर्व कोच

by Rakesh Pandey
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बरेली: भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार बरेली के मौलानाओं ने शमी को निशाने पर लिया है। आरोप है कि शमी ने रमजान के दौरान रोजा नहीं रखा और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दुबई में खेले गए सेमीफाइनल मैच के दौरान एनर्जी ड्रिंक (जूस) पीते हुए नजर आए थे। इस पर बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने उन्हें निशाने पर लेते हुए कड़ी आलोचना की और कहा कि उन्होंने जानबूझकर रोजा नहीं रखा, जो इस्लाम के अनुसार गुनाह है।

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी का कड़ा बयान

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी, जो ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, ने इस घटना पर बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि रमजान में रोजा रखना हर मुसलमान पर फर्ज है और अगर कोई जानबूझकर रोजा नहीं रखता है तो वह गुनाहगार है। उनका कहना था कि मोहम्मद शमी ने रमजान में रोजा छोड़कर बहुत बड़ा गुनाह किया है और शरीयत के अनुसार वह मुजरिम हैं।

‘खेलकूद के साथ अल्लाह के दिए फर्ज निभाना भी जरूरी’

रजवी ने अपने बयान में कहा, “मोहम्मद शमी को इस्लाम के नियमों का पालन करना चाहिए। खेलकूद करिए, मगर अल्लाह के दिए हुए फर्ज को भी निभाइए। शमी को इस बात का एहसास होना चाहिए कि रोजा ना रखना गुनाह है और उन्हें इस पर माफी मांगनी चाहिए।”

मोहम्मद शमी के भाई ने क्या कहा? 

वहीं इस पूरे मामले में मोहम्मद शमी के भाई हशीब शमी ने कहा- ख‍िलाड़ी होने के नाते जब मैच खेलना होता है, तो  गेंदबाजी में काफी मेहनत करनी होती हैं।  ऐसे में रमजान के माह में रोजा नहीं रख पाते हैं। अगर खेल नहीं हो रहा होता है तो वह सभी रोजे रखते हैं। अगर मैच के दौरान शमी ने रोजा नहीं रखा है, तो इसे वो आगे रख लेते हैं।  

फ‍िरंगी महली ने किया मोहम्मद शमी का बचाव, कहा- रोजा छोड़ने पर नहीं है कोई पाबंदी

इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन और ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने हाल ही में मोहम्मद शमी पर हो रहे विवाद पर अपनी राय दी और उन्हें बचाव में कहा कि इस्लाम में ऐसा कोई नियम नहीं है जो यह कहे कि अगर आप राष्ट्रीय कर्तव्यों पर हैं तो आपको रोजा रखना ही होगा। मौलाना फिरंगी महली ने इस मुद्दे पर स्पष्ट करते हुए कहा कि इस्लाम में यह नहीं कहा गया है कि अगर आप किसी विशेष मिशन पर या राष्ट्रीय कर्तव्य पर हैं, तो आपको रोजा रखना ही होगा। अगर कोई सफर कर रहा है, तो उसे रोजा छोड़ने की अनुमति है, और वह बाद में उन रोजों को दोबारा रख सकता है। इस तरह की बातें करना गलत हैं। इस प्रकार के बयान किसी खिलाड़ी की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं। मोहम्मद शमी हमारे देश का गौरव हैं और हमें उन पर गर्व है। वह एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं और हमें पूरा विश्वास है कि वह अपनी मेहनत और प्रदर्शन से टीम इंडिया को फाइनल में जीत दिलाएंगे।

वीडियो वायरल होने के बाद शुरू हुआ विवाद

दरअसल, यह विवाद तब शुरू हुआ जब दुबई में खेले गए इंडिया बनाम ऑस्ट्रेलिया सेमीफाइनल मैच के दौरान मोहम्मद शमी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस वीडियो में शमी को मैदान पर एनर्जी ड्रिंक पीते हुए देखा गया। यह घटना रमजान के महीने में हुई थी, जब मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे दिन का उपवास रहते हैं और सूरज ढलने के बाद इफ्तार करते हैं। शमी का यह वीडियो देखकर कई मौलानाओं ने यह आरोप लगाया कि शमी ने जानबूझकर रोजा नहीं रखा, जो इस्लाम के खिलाफ है।

क्या है शरीयत की राय?

इस्लामिक शरीयत के अनुसार, रमजान में रोजा रखना सभी मुसलमानों पर अनिवार्य है। रोजा न रखने के कुछ कानूनी और धार्मिक कारण हो सकते हैं, जैसे बीमारी या यात्रा। लेकिन अगर कोई व्यक्ति बिना किसी कारण के रोजा नहीं रखता है, तो इसे गुनाह माना जाता है। मौलाना रजवी का कहना था कि मोहम्मद शमी को अपने कृत्य पर पछतावा करना चाहिए और अल्लाह से माफी मांगनी चाहिए।

शमी की प्रतिक्रिया का इंतजार

इस विवाद के बाद, मोहम्मद शमी की ओर से अभी तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, यह निश्चित रूप से इस विषय पर उनके लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है। शमी को अब यह तय करना होगा कि वह इस मामले पर किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं और क्या वह इस धार्मिक आलोचना को नजरअंदाज करते हैं या इस पर माफी मांगते हैं।

पूर्व कोच का बयान

मोहम्मद शमी के पूर्व कोच बदरुद्दीन सिद्दीकी ने उनके खिलाफ उठे विवाद पर जोरदार प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस मामले में मोहम्मद शमी की कोई गलती नहीं है और पूरा देश उनके साथ है। कोच बदरुद्दीन ने यह भी स्पष्ट किया कि देश के आगे कुछ नहीं है और यह संदेश सभी मौलवियों को देना चाहिए।

बदरुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि पहले देश है, उसके बाद कुछ नहीं है। मोहम्मद शमी देश के लिए खेलते हैं, और वह अपनी धार्मिक जिम्मेदारियों को भी बाद में पूरा कर सकते हैं। इस्लाम में यह भी कहा गया है कि यदि आप बीमार हैं या सफर में हैं, तो आप बाद में रोजे को पूरा कर सकते हैं। मोहम्मद शमी के लिए देश और क्रिकेट पहले आते हैं।

कोच ने यह भी कहा कि हमारा इस्लाम इतना छोटा नहीं है कि वह एक जगह पर ही सीमित हो जाए। वह (शमी) देश के लिए किसी भी चीज़ का त्याग करने के लिए तैयार है, और अगर उसे रोजा छोड़ना पड़ा तो वह देश के लिए वह भी करेगा। शमी के लिए उसका देश और टीम की सफलता सबसे महत्वपूर्ण है।

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