दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में मुस्लिम बहुल सीटों पर एक दिलचस्प तस्वीर उभर कर आई है। जहां पहले आम आदमी पार्टी (AAP) का दबदबा देखने को मिला था, इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है। कांग्रेस की वापसी, एआईएमआईएम (AIMIM) की सक्रियता और आप-कांग्रेस के बीच वोटों का बंटवारा बीजेपी (BJP) को अप्रत्यक्ष लाभ पहुंचा सकता है।
आप-कांग्रेस की जंग में वोटरों का बंटवारा
मुस्लिम बहुल इलाकों में इस बार मतदाता आप और कांग्रेस के बीच बंटते नजर आ रहे हैं। 2015 और 2020 में AAP ने इन इलाकों में कांग्रेस को लगभग अप्रभावी बना दिया था। लेकिन इस बार कांग्रेस ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की सभाओं के जरिए अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है। इससे आप को सीधे चुनौती मिल रही है।
एआईएमआईएम का प्रभाव: नई चुनौती

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने ओखला और मुस्तफाबाद जैसी सीटों पर पूरी ताकत झोंक दी है। इन क्षेत्रों में एआईएमआईएम ने ताहिर हुसैन और शिफा-उर-रहमान को मैदान में उतारा है। AIMIM की सक्रियता के चलते यहां आप और कांग्रेस दोनों को अच्छे-खासे वोटों का नुकसान होता दिख रहा है। इससे AIMIM की भूमिका गेम चेंजर साबित हो सकती है।
बीजेपी को मिलेगा अप्रत्यक्ष लाभ
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुस्लिम बहुल सीटों पर अगर आप और कांग्रेस के वोट बंटते हैं, तो इसका सीधा लाभ बीजेपी को होगा। ओखला और मुस्तफाबाद में बीजेपी ने मनीष चौधरी और मोहन सिंह बिष्ट जैसे उम्मीदवार उतारे हैं। वोटों के विभाजन से बीजेपी को अप्रत्याशित जीत मिलने की संभावना है।
कांग्रेस के लिए उम्मीद की किरण
बाकी मुस्लिम बहुल सीटों जैसे सीलमपुर, सीमापुरी, बाबरपुर, मटिया महल और सदर बाजार में कांग्रेस के वोट बैंक में बढ़ोतरी होने की संभावना जताई जा रही है। प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की रैलियों ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरा है, जिससे मुस्लिम वोटरों का समर्थन कांग्रेस को मिल सकता है।
AIMIM के वोट बैंक का प्रभाव
एआईएमआईएम ने अपनी रणनीति के तहत मुस्लिम बहुल सीटों पर अलग पहचान बनाने की कोशिश की है। हालांकि यह आप और कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। ओखला और मुस्तफाबाद जैसी सीटों पर एआईएमआईएम का प्रभाव स्पष्ट नजर आ रहा है।
मुस्लिम बहुल सीटों पर रहा त्रिकोणीय मुकाबला
मुस्लिम बहुल सीटों पर इस बार का चुनावी माहौल त्रिकोणीय संघर्ष में बदल गया है। आप और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर और एआईएमआईएम के प्रभाव से स्थिति और जटिल हो गई है। वोटों के बंटवारे का सबसे बड़ा लाभ बीजेपी को मिल सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि परिणाम किसके पक्ष में जाता है।