सेंट्रल डेस्क : पिछले पांच हफ्तों में कांगो के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में एक रहस्यमयी बीमारी के कारण तीन बच्चों सहित 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। यह बीमारी तेजी से फैल रही है और इसके लक्षणों में बुखार, उल्टी और इंटरनल ब्लीडिंग शामिल हैं। इस बीमारी का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि मृत्यु और लक्षणों की शुरुआत के बीच का समय सिर्फ 48 घंटे का है, जिससे हालात और भी गंभीर हो गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने इस बीमारी के परीक्षणों के बाद इसे इबोला, डेंगू, मारबर्ग या पीले बुखार जैसे वायरस से जुड़ी नहीं पाया, लेकिन इसके लक्षण इन वायरस से मिलते-जुलते हैं। 21 जनवरी से कांगो में इस बीमारी के नए मामलों की शुरुआत हुई, और अब तक 419 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 53 लोगों की जान जा चुकी है।
WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) ने सोमवार को बताया कि कांगो के बोलोको गांव में तीन बच्चों ने चमगादड़ खा लिया था, जिसके कुछ ही घंटों बाद उनकी मौत हो गई। यह घटना यह दर्शाती है कि जंगली जानवरों से इंसान में बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ सकता है। WHO ने 2022 में इस बात की चेतावनी दी थी कि अफ्रीका में इस प्रकार के प्रकोपों में पिछले दशक में 60% से ज्यादा वृद्धि हुई है।
9 फरवरी को कांगो के बोमेटे गांव में इस बीमारी के दूसरे प्रकोप की शुरुआत हुई, जिसमें 13 मामलों के नमूने कांगो की राजधानी किंशासा स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर बायोमेडिकल रिसर्च भेजे गए थे। WHO ने बताया कि सभी नमूने रक्तस्रावी बुखार के मरीजों की रिपोर्ट से नेगेटिव आए, लेकिन कुछ नमूनों में मलेरिया के संकेत मिले। पिछले साल भी कांगो के अन्य हिस्सों में एक रहस्यमयी फ्लू जैसी बीमारी फैलने के बाद मलेरिया की संभावना पाई गई थी।