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BANARAS MOHALLAS NAME CHANGED : बनारस में 50 मोहल्लों के नाम बदलने की तैयारी, औरंगाबाद होगा नारायणी धाम, खालिसपुरा ब्रह्मतीर्थ

बनारस नगर निगम की कार्यकारिणी की बैठक में मोहल्लों के नाम बदलने के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। इसके बाद प्रस्ताव को मिनी सदन के पटल पर रखा जाएगा, जहां पार्षदों की सहमति ली जानी है।

by Rakesh Pandey
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वाराणसी: उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर वाराणसी में मुग़लकालीन नामों को बदलने की कवायद की जा रही है। इस समय बनारस के 50 से अधिक मोहल्लों के नाम बदलने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसमें प्रमुख रूप से औरंगाबाद का नाम बदलकर “नारायणी धाम” या “लक्ष्मी नगर” किए जाने की योजना है। यह कदम हिंदूवादी संगठनों की मांग पर उठाया जा रहा है, जो इसे सनातन धर्म और महापुरुषों के नाम पर रखने की पक्षधर हैं।

कार्यकारिणी की बैठक में प्रस्ताव पर चर्चा:

बनारस नगर निगम की कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक आज हो रही है। इसमें औरंगाबाद सहित अन्य मोहल्लों के नाम बदलने के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। बैठक में नगर निगम के महापौर अशोक तिवारी की अध्यक्षता में यह मुद्दा उठेगा। इसके बाद इस प्रस्ताव को मिनी सदन के पटल पर रखा जाएगा, जहां पार्षदों की सहमति के बाद इसे पास किया जाएगा।

ये होंगे प्रमुख मोहल्लों के नए नाम:

औरंगाबाद – नारायणी धाम या लक्ष्मी नगर

खालिसपुरा – ब्रह्मतीर्थ

मदनपुरा – पुष्पदंतेश्वर

कज्जाकपुरा – अनारक तीर्थ

अंबिया मंडी – अमरेश्वर तीर्थ

पीली कोठी – स्वर्ण तीर्थ

शिव मंदिर तिलभांडेश्वर – तिलभांडेश्वर तीर्थ

इसके अलावा, बनारस के कुछ अन्य मोहल्लों जैसे तेलू की गली, अविमुक्त के पश्चिम द्वार, काजीकला, गोलगड्डा, चौखम्भा, और फातमान रोड के नाम बदलने की भी मांग की जा रही है।

मुगलकालीन नामों के खिलाफ उठी आवाज:

यह मुहिम सबसे पहले सनातन रक्षक दल के अध्यक्ष अजय शर्मा द्वारा शुरू की गई थी। अजय शर्मा का कहना है कि मुग़ल काल के शासकों और उनके द्वारा बनाए गए नामों को बदलकर सनातन संस्कृति और महापुरुषों के नाम पर रखा जाए। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर वाराणसी के महापौर से मुलाकात की थी और एक ड्राफ्ट भी तैयार किया है, जिसमें 50 से ज्यादा मोहल्लों के नाम बदलने की योजना है।

धार्मिक व सांस्कृतिक पहचान पुनर्स्थापित करने की कोशिश

इसके अलावा, कुछ क्षेत्रों में विद्वानों और अन्य हिंदूवादी संगठनों के साथ मंथन किया जा रहा है ताकि इन नामों के बदलाव की प्रक्रिया को जल्द ही आगे बढ़ाया जा सके। इन बदलावों का उद्देश्य धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को पुनः स्थापित करना है।

अल्पसंख्यक बहुल आबादी वाले क्षेत्रों में बदलाव:

यह महत्वपूर्ण है कि जिन मोहल्लों के नाम बदलने पर विचार किया जा रहा है, वहां की आबादी में अधिकांश संख्या अल्पसंख्यक वर्ग की है। फिर भी, इस प्रस्ताव को लेकर नगर निगम प्रशासन और विभिन्न संगठन इसे आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।

नए निर्माण और श्रद्धा स्थल:

इसके अलावा, वाराणसी में कई स्थानों पर नए श्रद्धा स्थलों और स्मारकों की भी योजना बनाई जा रही है। उदाहरण के लिए, फुलवरिया में शिव प्रतिमा स्थापित करने की मांग की गई है। हाल ही में यहां भूमि पूजन भी किया गया है।

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