RANCHI (JHARKHAND): झारखंड गौ सेवा आयोग के तत्वावधान में गो सेवा के क्षेत्र में उभरती चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला की शुरुआत गुरुवार को रांची के हेसाग स्थित पशुपालन भवन में हुई। उद्घाटन कृषि, पशुपालन और सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने किया। उन्होंने कहा कि झारखंड में गौ सेवा को सशक्त करने की दिशा में राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है।
उन्होंने यह भी स्वीकारा कि अभी तक गौशालाओं को जितना सहयोग और अनुदान मिलना चाहिए था, वह अपेक्षित रूप से नहीं मिल पाया है। परंतु अब सरकार इस दिशा में गंभीर है। झारखंड में प्रति गाय रोजाना 100 की दर से सहायता दी जा रही है, जो अन्य राज्यों से कहीं अधिक है।
आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है गौमाता
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने तकनीकी सत्र में कहा कि गोमाता सिर्फ सांस्कृतिक नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पशुधन विकास योजना की सराहना करते हुए कहा कि राज्य में अब रोडमैप तैयार हो रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में दूध की उपलब्धता बढ़ाकर झारखंड में कुपोषण से लड़ाई को बल मिलेगा। कृषि मंत्री ने ये भी कहा कि राज्य सरकार किसानों, गो पालकों और गौशालाओं के साथ लगातार सहयोग कर रही है। पिछले वर्ष में गौ शालाओं को अनुदान के तौर पर 2.50 करोड़ रुपये निबंधित गौ शालाओं को दिये जाने की भी सूचना शिल्पी नेहा तिर्की ने दी।
गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि अब सिर्फ अनुदान नहीं, बल्कि गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम हो रहा है। झारखंड गो ग्राम की अवधारणा के तहत महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें स्वावलंबी बनाया जा रहा है। उपाध्यक्ष राजू गिरी ने बताया कि गोबर से दीया, अगरबत्ती जैसे उत्पाद तैयार कर महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।
सचिव अबु बकर सिद्दीक ने कहा कि पशुधन पारिस्थितिकी संतुलन में भी योगदान देता है और इसी सोच के साथ राज्य सरकार आगे बढ़ रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री वल्लभभाई कथीरिया सहित कई राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों ने गोपालन, पंचगव्य चिकित्सा, गोमूत्र-गोबर के व्यवसायिक उपयोग और नस्ल संरक्षण जैसे विषयों पर विचार रखे। कार्यशाला के चार तकनीकी सत्रों में इन विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।
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