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CPCB REPORT : गंगा का पानी नहाने लायक था’, CPCB की नई रिपोर्ट में दावा

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को हाल ही में एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें यह दावा किया गया है कि प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 के दौरान गंगा का पानी स्नान के लिए उपयुक्त था। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गंगा और यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण भिन्नताएं पाई गईं, खासकर जब एक ही स्थान से अलग-अलग दिनों पर पानी के सैंपल लिए गए थे।

रिपोर्ट में क्या है खास?

यह रिपोर्ट 28 फरवरी को जारी की गई और 7 मार्च को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड की गई। स्टैटिस्टिकल एनालिसिस के अनुसार, प्रयागराज के गंगा और यमुना में महाकुंभ के दौरान पानी की गुणवत्ता प्राइमरी क्वालिटी क्राइटेरिया के तहत नहाने के लिए उपयुक्त थी। CPCB ने 12 जनवरी से लेकर अब तक हर हफ़्ते दो बार पानी की निगरानी की थी, जिसमें महाकुंभ के दौरान पवित्र स्नान के दिन भी शामिल थे। यह निगरानी गंगा के पांच स्थानों और यमुना के दो स्थानों पर की गई थी।

पानी की गुणवत्ता में भिन्नता

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पानी की गुणवत्ता में भिन्नता कई कारणों से उत्पन्न हुई, जिनमें सीवेज नालों का प्रवाह, सहायक नदियों का प्रभाव और मौसम की स्थिति शामिल थे। CPCB ने यह माना कि एक ही स्थान से अलग-अलग तारीखों और समय पर लिए गए सैंपल्स के डेटा में परिवर्तनशीलता थी, जिसके कारण यह समग्र नदी जल की गुणवत्ता को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करता था।

फेकल कोलीफॉर्म और अन्य आंकड़े

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि गंगा का औसत फेकल कोलीफॉर्म (FC) स्तर 1,400 एमपीएन/100 मिली था, जो 2,500 एमपीएन/100 मिली की स्वीकार्य सीमा के भीतर था। इसके अलावा, डिसॉल्व्ड ऑक्सीजन (DO) 8.7 मिलीग्राम/लीटर था, जो 5 मिलीग्राम/लीटर की न्यूनतम आवश्यकता से अधिक था, और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) 2.56 मिलीग्राम/लीटर था, जो 3 मिलीग्राम/लीटर की स्वीकार्य सीमा के भीतर था।

हालांकि, कुछ दिन पहले सीपीसीबी ने एनजीटी को सूचित किया था कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज के विभिन्न स्थानों पर पानी में फेकल कोलीफॉर्म के उच्च स्तर के कारण स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता मानदंडों के अनुरूप नहीं था।

एनजीटी के समक्ष उठाई गई चिंताएं

गंगा और यमुना नदियों में प्रदूषण को लेकर कई चिंताएं एनजीटी के समक्ष उठाई गई हैं, खासकर नालों से निकलने वाले अनुपचारित सीवेज के बारे में। उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने जल गुणवत्ता बनाए रखने के प्रयासों का ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए एक हलफनामा पेश किया। इसमें कहा गया कि महाकुंभ-2025 के मद्देनजर, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स) में आवश्यक रसायनों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध रहे, और बढ़ती आबादी को देखते हुए अतिरिक्त जनशक्ति की तैनाती की जाएगी।

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