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स्वास्थ्य मंत्रालय का बड़ा फैसला, डॉक्टर्स को एंटीबायोटिक्स लिखते समय लिखना होगा कारण

by Rakesh Pandey
New rule for doctors
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हेल्थ डेस्क : भारत में एंटीबायोटिक्स या रोगाणुरोधी दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने डॉक्टरों के लिए (New rule for doctors) इन दवाओं को लिखते समय ‘सटीक संकेत’ लिखना अनिवार्य कर दिया है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आने वाली इकाई स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने इस संबंध में एक ‘तत्काल अपील’ करते हुए देश के सभी मेडिकल कॉलेजों, मेडिकल एसोसिएशनों और फार्मासिस्ट एसोसिएशनों के डॉक्टरों को पत्र लिखा है।

एंटीबायोटिक दवाओं को अधिक बढ़ावा न देने के किए उठाया गया कदम

डॉक्टरों के प्रिसक्रिप्शन में मरीज में दिखे लक्षणों के बारे बिल्कुल सटीक जानकारी देने के लिए कहा गया है, जिनके लिए एंटीबायोटिक्स या रोगाणुरोधी दवाएं लिखी गई हैं। केंद्र सरकार ने आदेश दिया है कि डॉक्टर इन दवाओं के दुरुपयोग या खुद ज्यादा प्रयोग को रोकने के लिए उनके उपयोग का सटीक मकसद या जरूरत को साफ-साफ बताए।

सरकार ने सभी चिकित्सों और डॉक्टरों से अपील कि है कि वे एंटीबायोटिक दवाओं को अधिक बढ़ावा न दें और आदेशों को प्रभावी रूप सुनिश्चित करें। अनुमान के मुताबिक, बैक्टीरियल एएमआर का 2019 में 1.27 मिलियन वैश्विक मौतों से सीधा संबंध था और 4.95 मिलियन मौतें पूरी तरह से ड्रग रेजिस्टेंस संक्रमणों से संबंधित थीं।

जानिए पत्र में क्या लिखा (New rule for doctors)

पत्र में बताया गया कि एंटीबायोटिक्स आधुनिक चिकित्सा के कई लाभों को खतरे में डालता है। यह प्रतिरोधी रोगाणुओं के कारण होने वाले संक्रमण की प्रभावी रोकथाम और इलाज को भी खतरे में डालता है, जिस वजह से लंबी बीमारी होती है और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। मेडिकल कॉलेजों को अपील करते हुए पत्र में कहा गया कि ये कॉलेज न केवल देश में एक बड़े वर्ग के स्वास्थ्य का देखभाल करते हैं, बल्कि डॉक्टरों की युवा पीढ़ी को भी तैयार करते हैं।

आने वाली चुनौतियों से भी इन्हें ही निपटना होगा। इस कारण यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि डॉक्टर मेडिकल कॉलेजों में अगली पीढ़ी के डॉक्टरों के लिए एंटीबायोटिक्स का सही उपयोग करना इन्हें बताएं।

डब्ल्यूएचओ ने भी जताया खतरा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, एएमआर दुनिया भर में शीर्ष 10 वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों में सूचीबद्ध है। एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस मानव जीवन, पशु स्वास्थ्य और कल्याण, पर्यावरण, भोजन और पोषण सुरक्षा और सुरक्षा को खतरे में डालता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, एंटीबायोटिक दवाओं की अत्यधिक मात्रा को रोकने की दिशा में एक कदम उठाया गया है, जिससे एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) होता है।

एएमआर को दुनिया के शीर्ष दस सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक माना जाता है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सरकार ने फार्मासिस्टों को भी याद दिलाया है कि वो ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स नियमों की अनुसूची एच और एच1 को लागू करें और केवल वैध नुस्खे पर एंटीबायोटिक्स को बेंचे। साथ ही डॉक्टर को एंटी माइक्रोबियल दवाएं लिखने के पीछे का सटीक कारण अवश्य बताएं।

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