गोपालगंज : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगामी राजनीतिक कदमों को लेकर लंबे समय से सियासी गलियारों में चर्चाएं हो रही थीं। इन चर्चाओं को और अधिक बल तब मिला जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने हाल ही में नीतीश कुमार को अपने दल में शामिल होने का एक ऑफर दिया था। लालू यादव ने कहा था कि राजद के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हैं और यह बयान बिहार की राजनीति में कई तरह के कयासों का कारण बन गया था। कुछ लोगों का मानना था कि इस बयान से अंदरखाने कोई बड़ा सियासी परिवर्तन हो सकता है।
लेकिन इन तमाम अटकलों पर नीतीश कुमार ने शनिवार को गोपालगंज में प्रगति यात्रा के दौरान विराम लगा दिया। नीतीश कुमार ने लालू यादव के ऑफर को ठुकराते हुए कहा कि ‘हम दो बार गलती से इधर-उधर चले गए थे, अब हम लोग हमेशा साथ रहेंगे और विकास के कार्य करेंगे’। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब वह और उनकी पार्टी हमेशा एक साथ रहेंगे और राज्य के विकास के लिए काम करेंगे।
2005 के बाद से लगातार विकास पर जोर
गोपालगंज समाहरणालय में विकास योजनाओं की समीक्षा बैठक के बाद सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि ‘जनता ने हमें 2005 में काम करने का मौका दिया था, और हम लगातार राज्य के विकास के लिए काम कर रहे हैं’। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार की हालत पहले क्या थी, यह किसी से छिपी नहीं है और उनके नेतृत्व में राज्य में लगातार सुधार हुआ है। इससे यह साफ हो गया कि नीतीश कुमार अपने नेतृत्व में आगे भी बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी तरह की राजनीतिक उथल-पुथल से बचने की कोशिश करेंगे।
लालू यादव का ऑफर और सियासी हलचल
नीतीश कुमार के इस बयान से पहले, 1 जनवरी को लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार की पार्टी के बारे में कहा था कि आरजेडी का दरवाजा उनके लिए हमेशा खुला है। उन्होंने यह भी कहा था कि नीतीश कुमार को भी अपना दरवाजा खोलकर रखना चाहिए। इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई थी और कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। बीजेपी और जेडीयू के नेताओं ने इस पर सवाल उठाए, वहीं राजद के नेता इसे एक नए गठबंधन की संभावना के रूप में देख रहे थे।
लालू यादव के इस बयान से सियासी गर्मी तब और बढ़ गई जब नीतीश कुमार ने राज्यपाल के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान तेजस्वी यादव की पीठ थपथपाई थी। यह संकेत दिया गया था कि शायद नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच गठबंधन में कुछ बदलाव हो सकता है। लेकिन अब नीतीश कुमार के इस स्पष्ट बयान से यह सस्पेंस खत्म हो गया है।
आगे की राजनीति
इस तरह से नीतीश कुमार ने लालू यादव के ऑफर को नकारते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी पार्टी के साथ मजबूती से खड़े हैं और आगे भी बिहार के विकास के लिए कार्य करेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार ने यह बयान पार्टी के अंदर और बाहर सभी को एक स्पष्ट संदेश देने के लिए दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधानसभा चुनावों में उनकी राजनीतिक दिशा और रणनीति क्या होगी।
Read Also- क्या वाकई प्रशांत किशोर अनशन के लिए 5 करोड़ की वैनिटी वैन का इस्तेमाल कर रहे है, जानें क्या है सच