RANCHI (JHARKHAND): राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTO) झारखंड और रिम्स स्थित डायलिसिस केंद्र नेफ्रोप्लस के संयुक्त तत्वावधान में अंगदान जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम अंगदान-जीवन संजीवनी अभियान के अंतर्गत आयोजित किया गया। जिसका उद्देश्य राज्य में मृतक अंगदान को बढ़ावा देना है। यह अभियान वर्ष 2025-26 के दौरान एक वर्ष तक चलाया जाएगा। इस अवसर पर रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. डॉ हिरेन्द्र बिरुआ, नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ प्रज्ञा पंत घोष और सोटो झारखंड के नोडल पदाधिकारी डॉ राजीव रंजन प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
किसी को मिल सकता है नया जीवन
कार्यक्रम में डायलिसिस करा रहे मरीजों और उनके परिजनों को अंगदान के महत्व, प्रक्रिया और लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। डॉ हिरेन्द्र बिरुआ ने कहा कि अंग विफलता केवल मरीज का ही नहीं, पूरे परिवार का जीवन प्रभावित करती है। अंगदान के जरिए किसी जरूरतमंद को नया जीवन मिल सकता है, इसलिए सभी को इससे जुड़ना चाहिए। डॉ प्रज्ञा पंत ने किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता और इसके लाभों की जानकारी देते हुए कहा कि डायलिसिस एक अस्थायी समाधान है, जबकि ट्रांसप्लांट से मरीज की जीवनशैली बेहतर होती है। समय पर प्रत्यारोपण से जीवन की गुणवत्ता और समय दोनों में सुधार होता है।
अंगदान की प्रक्रिया से हुए रू-ब-रू
SOTTO के नोडल पदाधिकारी डॉ राजीव रंजन ने अंगदान की प्रक्रिया, इसके सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एक मृत व्यक्ति के अंगदान से 8 लोगों को जीवनदान और अनेक को बेहतर जीवन मिल सकता है। सभी धर्म अंगदान को मानवता की सेवा मानते हैं।
कार्यक्रम में सोटो की आईईसी कंसलटेंट साल्विया शर्ली ने अंगदान से जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया और अंगदाता प्रतिज्ञा लेने की प्रक्रिया समझाई। प्रतिभागियों को जागरूकता संबंधी सामग्री भी वितरित की गई।
इनका रहा योगदान
कार्यक्रम के सफल संचालन में डॉ स्वाति भगत, डॉ कहकशां, साईं चरण, सलोनी समिधा, बमबम धर्वे, बुलबुल बागे सहित नेफ्रोप्लस और सोटो की टीम की अहम भूमिका रही।