पटना: बिहार पुलिस प्रमुख डीजीपी विनय कुमार ने राज्यभर में प्रेस, पुलिस और आर्मी लिखी गाड़ियों की सख्त जांच करने के निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि इन गाड़ियों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है और यह सुरक्षा की दृष्टि से एक गंभीर समस्या बन चुका है। डीजीपी ने इस संबंध में एक पत्र राज्य के तमाम जोन के आईजी, डीआईजी, जिलों के एसपी और एसएसपी को भेजा है, जिसमें उन्होंने इन वाहनों की सख्त निगरानी और जांच के आदेश दिए हैं।
जांच का कारण
डीजीपी विनय कुमार ने अपने पत्र में कहा कि हाल के दिनों में यह देखा गया है कि कई असामाजिक तत्व और अपराधी प्रेस, पुलिस और आर्मी लिखी गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका दावा है कि यह गाड़ियां कभी-कभी असली मालिकों के बजाय गैर-पेशेवर व्यक्तियों द्वारा चलाई जाती हैं, जो इन गाड़ियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। खासकर, प्रेस और पुलिस लिखी गाड़ियों का इस्तेमाल अपराधियों द्वारा छिपने और अपनी गतिविधियों को छुपाने के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह देखा गया है कि इन वाहनों पर असली मालिकों के बजाय कोई और व्यक्ति सवार होते हैं और ये लोग अपराधों में लिप्त पाए जाते हैं। इससे पुलिस प्रशासन की स्थिति और भी जटिल हो जाती है, क्योंकि इस प्रकार के वाहनों के उपयोग से पुलिस और आम लोगों में भ्रम और संदेह उत्पन्न होता है। इन गाड़ियों का दुरुपयोग न केवल कानून व्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि यह आम जनता के विश्वास को भी कमजोर करता है।
डीजीपी ने दिए सख्त निर्देश
डीजीपी ने सभी पुलिस अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे प्रेस, पुलिस और आर्मी लिखी गाड़ियों की सख्ती से जांच करें। इसके तहत इन गाड़ियों के नंबर प्लेट, वाहन के मालिक और गाड़ी में सवार लोगों की पहचान को सत्यापित किया जाए। अगर कोई गाड़ी संदिग्ध पाई जाती है, तो उसकी पूरी जांच की जाए और यदि किसी भी गाड़ी में गैर-पेशेवर लोग पाए जाते हैं, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही, डीजीपी ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि इन गाड़ियों के खिलाफ कोई गलतफहमी उत्पन्न न हो और पुलिस के पास पूरी जानकारी और साक्ष्य हो।
सुरक्षा और छानबीन की आवश्यकता
हालांकि, इस निर्देश का उद्देश्य अपराधों पर नियंत्रण पाना है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि पुलिस की कार्रवाई पूरी तरह से निष्पक्ष और संवेदनशील हो। प्रेस, पुलिस और आर्मी लिखी गाड़ियों की पहचान और उनकी जांच करते समय, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि निर्दोष नागरिकों को परेशानी का सामना न करना पड़े। डीजीपी ने इस पर जोर दिया कि जांच में संवेदनशीलता का ध्यान रखा जाए, ताकि सुरक्षा के उद्देश्य से आम जनता को असुविधा न हो।
खुफिया जानकारी का उपयोग
डीजीपी ने पत्र में यह भी कहा है कि पुलिस प्रशासन को खुफिया जानकारी का इस्तेमाल करते हुए ऐसे संदिग्ध वाहनों की पहचान करनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह सलाह दी कि इन वाहनों के बारे में स्थानीय स्तर पर नियमित निगरानी और जांच की जाए। इस संदर्भ में स्थानीय पुलिस थाना, ट्रैफिक पुलिस और जांच एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करना आवश्यक है।
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