Home » नाबालिग पहलवान के यौन शोषण मामले में बृजभूषण सिंह को मिली राहत

नाबालिग पहलवान के यौन शोषण मामले में बृजभूषण सिंह को मिली राहत

by Rakesh Pandey
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को पहलवानों से यौन शोषण के मामले में बड़ी राहत मिली है। दिल्ली पुलिस ने एक हजार पन्नों की चार्जशीट पटियाला हाउस कोर्ट में दाखिल की।  पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट से बृजभूषण शरण सिंह पर लगे पॉक्सो एक्ट हटाने की सिफारिश की है। सुनवाई की अगली तारीख चार जुलाई तय हुई है।

पहले जानिए दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में क्या कहा?
दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि पॉक्सो मामले में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिला। POCSO मामले में जांच पूरी होने के बाद शिकायतकर्ता यानी पीड़िता के पिता और स्वयं पीड़िता के बयानों के आधार पर कोर्ट में मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। इसी को लेकर धारा 173 CrPC के तहत एक पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत की है।

दिल्ली पुलिस की प्रवक्ता सुमन नलवा ने बताया कि पहलवानों द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में जांच पूरी होने के बाद हमने आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 354, 354ए, 354डी के तहत और आरोपी विनोद तोमर के खिलाफ आईपीसी की धारा 109/354/354ए/506 के तहत आरोप पत्र दायर किया है।

क्यों पॉक्सो मामले में मिली राहत? 
इसे समझने के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता चंद्र प्रकाश पांडेय से बात की। उन्होंने कहा, ‘इस मामले में सात महिला पहलवानों ने 21 अप्रैल को दिल्ली पुलिस में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। 28 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो मामले दर्ज किए थे। पहला मामला बालिग महिला पहलवानों की शिकायत पर था, जबकि दूसरा मामला नाबालिग पहलवान के यौन उत्पीड़न पर दर्ज हुआ था। इस मामले में पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया था।’
पहले जानिए दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में क्या कहा?
दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि पॉक्सो मामले में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिला। POCSO मामले में जांच पूरी होने के बाद शिकायतकर्ता यानी पीड़िता के पिता और स्वयं पीड़िता के बयानों के आधार पर कोर्ट में मामले को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। इसी को लेकर धारा 173 CrPC के तहत एक पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत की है।

दिल्ली पुलिस की प्रवक्ता सुमन नलवा ने बताया कि पहलवानों द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में जांच पूरी होने के बाद हमने आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 354, 354ए, 354डी के तहत और आरोपी विनोद तोमर के खिलाफ आईपीसी की धारा 109/354/354ए/506 के तहत आरोप पत्र दायर किया है।

क्यों पॉक्सो मामले में मिली राहत? 
इसे समझने के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता चंद्र प्रकाश पांडेय से बात की। उन्होंने कहा, ‘इस मामले में सात महिला पहलवानों ने 21 अप्रैल को दिल्ली पुलिस में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। 28 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो मामले दर्ज किए थे। पहला मामला बालिग महिला पहलवानों की शिकायत पर था, जबकि दूसरा मामला नाबालिग पहलवान के यौन उत्पीड़न पर दर्ज हुआ था। इस मामले में पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया था।’

चंद्र प्रकाश आगे कहते हैं, ‘दिल्ली पुलिस ने नाबालिग के यौन उत्पीड़न वाले मामले में ही बृजभूषण को राहत दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि  बाद में नाबालिग पहलवान ने अपना बयान बदल दिया और यौन उत्पीड़न की जगह भेदभाव का आरोप लगाया। इसके अलावा पहलवान के नाबालिग होने पर भी सवाल खड़े हो गए। जिसपर उसने सफाई दी कि वह गुस्से और डिप्रेशन में थी। इसलिए उसने यौन उत्पीड़न का आरोप लगा दिया।’

अब आगे क्या होगा?  
 चंद्र प्रकाश पांडेय कहते हैं, ‘अब आईपीसी की धारा 354, 354ए, 354डी के तहत मामला चलेगा। इन मामलों में दोनों तरफ से साक्ष्य प्रस्तुत होंगे। अगर बृजभूषण आईपीसी की धारा 354 के तहत दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें कम से कम एक साल और अधिक से अधिक पांच साल तक की सजा हो सकती है। ये एक गैरजमानती धारा है। इसी तरह आईपीसी की धारा 354-ए के तहत अगर दोषी मिलते हैं तो इसमें उप धारा (1) के खंड (i), खंड (ii) या खंड (iii) के तहत कठोर जुर्माने की सजा का प्रावधान है। ऐसी परिस्थिति में आईपीसी की धारा 354 में मिली सजा को तीन साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। जुर्माने का भी प्रावधान है। ये अपराध जमानती है।’

Related Articles