Home » Deoghar AIIMS Convocation: देवघर एम्स के प्रथम दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का डिग्री प्रापकों को उपदेश, ‘अच्छा डॉक्टर बनने के साथ अच्छा इंसान बनना भी जरूरी’

Deoghar AIIMS Convocation: देवघर एम्स के प्रथम दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का डिग्री प्रापकों को उपदेश, ‘अच्छा डॉक्टर बनने के साथ अच्छा इंसान बनना भी जरूरी’

जब वह झारखंड की राज्यपाल थीं, तब 25 मई 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंदरी से इसका शिलान्यास किया था। इस प्रकार, देवघर एम्स की विकास यात्रा से उनका एक विशेष संबंध बन गया है।

by Reeta Rai Sagar
President Droupadi Murmu at AIIMS Deoghar convocation
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

Deoghar (Jharkhand): झारखंड के देवघर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में गुरुवार को आयोजित पहले दीक्षांत समारोह में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने डॉक्टरों को संबोधित करते हुए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा कि डॉक्टर केवल अपने व्यवहार में ‘क्लीनिकल’ न बनें, बल्कि मरीज को सहानुभूति के साथ सलाह दें। राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि बाबा बैद्यनाथ ने उन्हें जनसेवा के लिए भेजा है, और एक अच्छा डॉक्टर होने के साथ-साथ एक अच्छा इंसान होना भी बेहद जरूरी है।

देवघर एम्स से राष्ट्रपति का विशेष जुड़ाव

राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने संबोधन में देवघर एम्स के साथ अपनी विशेष स्मृति को साझा किया। उन्होंने बताया कि जब वह झारखंड की राज्यपाल थीं, तब 25 मई 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंदरी से इसका शिलान्यास किया था। इस प्रकार, देवघर एम्स की विकास यात्रा से उनका एक विशेष संबंध बन गया है। उन्होंने देवघर एम्स की पूरी टीम को ‘कल्चर ऑफ एक्सीलेंस’ की शुरुआत करने के लिए शुभकामनाएं दीं।

राष्ट्रपति ने इस बात पर भी खुशी जताई कि आज उपाधि और पदक पाने वाले छात्रों में बेटियों की संख्या लड़कों के बराबर है। उन्होंने कहा कि एम्स में प्रवेश पाना और शिक्षा ग्रहण करना ही यह सिद्ध करता है कि वे एक कुशल डॉक्टर बन गए हैं, लेकिन उनमें सेंसेटिव कम्यूनिकेशन की क्षमता भी होनी चाहिए। उन्होंने उन डॉक्टरों का उदाहरण दिया जिनके परामर्श से परिवार के लोग भी बेहतर महसूस करते हैं।

ग्रामीण स्वास्थ्य और दवा खर्च पर जोर

राष्ट्रपति ने डॉक्टरों से प्राइमरी हेल्थ क्षेत्र में भी सक्रियता से काम करने और अर्बन-रुरल हेल्थ कम्युनिटी सेंटर जाकर अपनी सेवा देने का आह्वान किया। उन्होंने देवघर एम्स से गाँवों को गोद लेने का दायरा बढ़ाने की अपील की, क्योंकि एम्स ने अब तक केवल पाँच गाँवों को ही गोद लिया है। उन्होंने अपनी राज्यपाल रहते हुए गाँव-गाँव भ्रमण का जिक्र करते हुए कहा कि ‘हेल्थ इज वेल्थ’ को ध्यान में रखकर काम करने की जरूरत है और समाज के काम में भी ध्यान देना आवश्यक है, क्योंकि सेवा देने के लिए काफी अवसर मौजूद हैं। उन्होंने शिशु मृत्यु दर और थैलेसिमिया जैसी बीमारियों को कम करने पर विशेष ध्यान देने की बात कही। राष्ट्रपति ने डॉक्टरों से एक उदाहरण बनने और दवा पर कम से कम खर्च करने की सलाह दी, ताकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने में एम्स अपनी भूमिका निभा सके।

राज्यपाल और स्वास्थ्य मंत्री ने भी किया संबोधित

दीक्षांत समारोह में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने भी डॉक्टरों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि चिकित्सा केवल पेशा नहीं होना चाहिए, बल्कि एक पुनीत कर्म भी होना चाहिए। ज्ञान की प्राप्ति तभी सार्थक है जब उसका उपयोग जनकल्याण के लिए हो। उन्होंने डॉक्टरों से अपनी विशेषज्ञता को राष्ट्र निर्माण में लगाने का आह्वान किया और कहा कि यह केवल एक शैक्षणिक उपलब्धि नहीं, बल्कि सामाजिक दायित्व की शुरुआत है। उन्होंने देवघर एम्स से बिहार और पश्चिम बंगाल के लोगों को भी लाभ मिलने की बात कही और बताया कि झारखंड को एजुकेशन हब बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने भी अपने संबोधन में कहा कि वह स्वयं एक डॉक्टर और मंत्री हैं, और उनके लिए यह पद नहीं बल्कि एक भावना है, इसलिए वे मरीज का दर्द समझते हैं। उन्होंने इसे एक प्रोफेशन नहीं बल्कि एक कमिटमेंट बताया। उन्होंने सरकार की ओर से हर व्यक्ति को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवा देने की प्रतिबद्धता दोहराई और बताया कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है और निजी डॉक्टरों को सरकारी अस्पताल से जोड़ने का काम किया जा रहा है।

देवघर एम्स की प्रगति रिपोर्ट

देवघर एम्स के कार्यकारी निदेशक सौरभ वार्षेण्य ने संस्थान की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि देवघर एम्स में शिक्षा, सेवा और शोध एक साथ चलते हैं। सितंबर 2019 में पहले बैच की शुरुआत 50 विद्यार्थियों के साथ हुई थी, और आज विभिन्न फैकल्टी में 900 विद्यार्थी हैं। उन्होंने बताया कि 70 फीसदी फैकल्टी के पद भरे हुए हैं और एमबीबीएस की सीटें अब 125 हो गई हैं। पिछले पाँच सालों में 400 से अधिक प्रोजेक्ट लिखे गए हैं।

सौरभ वार्षेण्य ने बताया कि देवघर एम्स ने पाँच गाँवों को गोद लिया है और पिछले चार सालों से टेलीमेडिसिन सेवा दी जा रही है। उन्होंने ड्रोन सेवा का भी जिक्र किया, जिसके तहत दूर-दराज के इलाकों में सर्प दंश से पीड़ितों के लिए एंटीवेनम पहुंचाया जा रहा है। अब तक तीन हजार से अधिक कैंप लगाए जा चुके हैं और मेंटल हेल्थ पर भी सर्वे किया जा रहा है। अगस्त 2021 से ओपीडी सेवा शुरू की गई थी, और तब से अब तक 7.50 लाख से अधिक मरीजों को देखा जा चुका है।

पदक विजेता छात्र-छात्राएं

दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति मुर्मु ने कई मेधावी छात्र-छात्राओं को पदक प्रदान किए :

गोल्ड मेडल : डॉ. अस्मित अग्रवाल

सिल्वर मेडल : डॉ. तनिष्क कुमार

ब्रॉन्ज मेडल : डॉ. हर्षवीर कौर

सर्वाधिक अटेंडेंस (एमबीबीएस) : डॉ. ऋचा जायसवाल

उपाधि प्राप्त करने वाले अन्य छात्र: डॉ. अंजनी कुमारी, डॉ. गौतम शंकर, डॉ. सुमिता सिन्हा, डॉ. शिक्षा सिंह, डॉ. ओम शंकर।

यह दीक्षांत समारोह देवघर एम्स के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ, जहां नए चिकित्सकों को मानवता की सेवा के लिए प्रेरित किया गया।

Also Read: RANCHI NEWS: झारखंड कांग्रेस विधायक दल की बैठक, SIR के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी

Related Articles

Leave a Comment