सेंट्रल डेस्क : रेलवे फर्जी भर्ती मामले में जांच के साथ-साथ जीआरपी की कार्रवाई भी तेज हो गई है। इस मामले में जिन खातों का इस्तेमाल काले धन को सफेद करने या अन्य संदिग्ध गतिविधियों में किया गया है, उन्हें फ्रीज किया जा रहा है। पुलिस ने इस मामले में उत्तर प्रदेश के मनीष शुक्ला उर्फ राघवेंद्र, उर्फ अनिल पांडेय और उनके ड्राइवर बिट्टू पांडेय के खाते का खुलासा किया है, जिसे अब खलीलाबाद स्थित एचडीएफसी बैंक से फ्रीज कर दिया गया है। साथ ही प्रयागराज के भंवर सिंह के बैंक ऑफ इंडिया की सैदाबाद शाखा का खाता भी फ्रीज किया गया है।
गोरखपुर बना फर्जी भर्ती का बड़ा सेंटर
जांच में पता चला है कि जालसाजों ने गोरखपुर को रेलवे में फर्जी भर्ती के लिए एक बड़ा सेंटर बना लिया था। यहां अभ्यर्थियों से आठ से दस लाख रुपये लेकर उन्हें नौकरी दिलवाने का वादा किया जाता था। पैसे का लेन-देन भी गोरखपुर में ही किया जाता था। इस दौरान आरोपियों ने हाल के दिनों में अपने खातों से काफी रकम निकाली, जिसे पुलिस जांच रही है। पुलिस को शक है कि आरोपी हवाला कारोबार और सट्टे के जरिए भी पैसे की हेराफेरी कर रहे थे।
महादेव एप से जुड़ा सट्टा कारोबार
गोरखपुर से गिरफ्तार किए गए शुभम निषाद और पंकज श्रीवास्तव से पूछताछ में यह जानकारी मिली है कि राघवेंद्र शुक्ला महादेव एप के माध्यम से सट्टा भी खेलता था। पुलिस ने महादेव एप से राघवेंद्र के सट्टे में लगाए गए पैसों की जानकारी मांगी है। माना जा रहा है कि सट्टे के कारोबार में भी उसने करोड़ों रुपये की कमाई की है।
भोले-भाले लोगों को फंसाते थे जाल में
जालसाजों ने खासकर झारखंड, कोलकाता और ओडिशा के आदिवासी इलाकों के लोगों को शिकार बनाया। वे इन लोगों को रेलवे में कैजुअल भर्ती करने का झांसा देकर पांच से छह लाख रुपये ठग लेते थे। इंटरव्यू के समय एक लाख रुपये लेकर पूरी भर्ती प्रक्रिया को झूठे रेल अधिकारियों के सामने कराते थे। इसके बाद इन लोगों को ट्रेनिंग देने के नाम पर मोतिहारी और छपरा के हॉल्ट पर बुलाया जाता था।