अयोध्या : राम मंदिर के प्रमुख पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका निधन लखनऊ के पीजीआई (पीजीआई अस्पताल) में हुआ, जहां वे कुछ समय से इलाज के लिए भर्ती थे। उन्हें 3 फरवरी को ब्रेन हेमरेज के बाद गंभीर हालत में लखनऊ पीजीआई के न्यूरोलॉजी वार्ड के HDU (हाई डिपेंडेंसी यूनिट) में दाखिल कराया गया था। उनके निधन की खबर से अयोध्या सहित पूरे धार्मिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।
आचार्य सत्येंद्र दास के शिष्य प्रदीप दास ने बताया कि आचार्य जी का निधन 12 फरवरी को सुबह करीब 8 बजे हुआ। उन्होंने बताया कि उनके शरीर को एसजीपीजीआई से अयोध्या लाया जा रहा है, जहां अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनका पार्थिव शरीर अयोध्या भेजने के लिए शिष्य पहले ही निकल चुके थे। अंतिम संस्कार 13 फरवरी को अयोध्या के सरयू नदी के किनारे किया जाएगा।
आचार्य सत्येंद्र दास लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। हाल ही में पीजीआई ने हेल्थ बुलेटिन जारी कर बताया था कि उन्हें मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारियां थीं। इन बीमारियों के कारण उनका स्वास्थ्य बहुत खराब हो गया था, और अंततः उन्होंने अंतिम सांस ली।
राम मंदिर सेवा में 33 वर्षों का योगदान
आचार्य सत्येंद्र दास ने राम मंदिर की सेवा में लगभग 33 साल बिताए। वे 1992 में राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद से मंदिर के प्रमुख पुजारी के रूप में सेवा में थे। यह वह समय था जब विवादित जमीन के कारण राम जन्मभूमि की जिम्मेदारी जिला प्रशासन के पास चली गई थी और उस समय पुराने पुजारी महंत लालदास के हटने की चर्चा हो रही थी। इसके बाद, 1 मार्च 1992 को भाजपा सांसद विनय कटियार, विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेता अशोक सिंघल और अन्य प्रमुख नेताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद सत्येंद्र दास को राम मंदिर के मुख्य पुजारी नियुक्त किया गया था।
आचार्य सत्येंद्र दास का जीवन बहुत ही साधारण था। उन्हें नियुक्ति के समय हर महीने केवल 100 रुपये का वेतन मिलता था। उनका वेतन बहुत कम था, जो 2018 तक सिर्फ 12,000 रुपये प्रतिमाह था। हालांकि, 2019 में अयोध्या के कमिश्नर के निर्देश के बाद उनका वेतन बढ़ाकर 13,000 रुपये किया गया था। इसके बावजूद उन्होंने कभी भी अपनी सेवा के बदले किसी बड़े वेतन की उम्मीद नहीं की और हमेशा राम मंदिर की सेवा को प्राथमिकता दी।
संस्कार और शिक्षा का योगदान
आचार्य सत्येंद्र दास का जीवन केवल धार्मिक सेवा तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने 1975 में संस्कृत विद्यालय से आचार्य की डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद 1976 में उन्हें अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में व्याकरण विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी मिली थी। वे एक विद्वान और शिक्षाशास्त्री थे, जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी धर्म, संस्कृत और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में समर्पित की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दी श्रद्धांजलि
आचार्य सत्येंद्र दास के निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने आचार्य सत्येंद्र दास की धार्मिक सेवा और राम मंदिर के लिए उनके योगदान को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि सत्येंद्र दास का योगदान हमेशा याद किया जाएगा, और उनका नाम अयोध्या में हमेशा सम्मान से लिया जाएगा।