सेंट्रल डेस्क। हाल ही में रतन टाटा का निधन हो गया है। इसके बाद से ही उनकी संपत्ति के बंटवारे को लेकर कवायद जारी थी। अब उनकी कुल दौलत का अनुमानतः आंकड़ा 10,000 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। अपनी संपत्ति में उन्होंने अपने फाउंडेशन, भाई जिमी टाटा, सौतेली बहनों शिरीन और डीनना जीजीभॉय, हाउस स्टाफ और अन्य लोगों को भी हिस्सेदार बनाया है।
रतन टाटा के वसीयत के खुलने के बाद कुछ ऐसे नाम सामने आए है, जो बेहद चकित करने वाले है। उनकी वसीयत में उनके रिश्तेदारों औऱ उनके स्टाफ के अलावा उनके पालतू कुते ‘टीटो’ का भी नाम शामिल है। उनके सहायक और यहां तक कि उनके जूनियर दोस्त शांतनु नायडू का भी नाम शामिल है।
टाटा की कुल संपत्ति में क्या-क्या
रतन टाटा की नेटवर्थ 10,000 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। इस के अंतर्गत 2000 वर्गफीट का समंदर किनारे का बंगला, मुंबई में जुहू तारा रोड पर दो मंजिला भवन, 350 करोड़ से अधिक की फिक्स डिपॉजिट और 165 अरब डॉलर के टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 0.83 प्रतिशत की हिस्सेदारी शामिल है। ये सभी रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन को दिया जाएगा।
रतन टाटा ने पेट डॉग टीटो को क्या दिया
खबरों के अनुसार, रतन टाटा ने अपने वसीयत में अपने पालतू जर्मन शेफर्ड की जीवन देखरेख की बात कही है। जगजाहिर है कि रतन टाटा को पालतू जानवरों से बेहद लगाव था। टीटो की देखभाल की जिम्मेदारी उनके लंबे समय से कुक रहे राजन शॉ को दी गई है। रतन टाटा की जानवरों के प्रति प्रेम 2018 में पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गई। तब उन्होंने एक बीमार डॉग के पास रहने के लिए किंग्स चार्ल्स 3 से मिलने वाले शाही सम्मान को लेने से इंकार कर दिया था। रतन टाटा को बर्किंघम पैलेस से अवॉर्ड मिलना था और उन्होंने उस वक्त मना कर दिया।
मुंबई के कोलाबा में स्थित रतन टाटा का घर, जहां वे अपने निधन से पहले तक रहते थे, का मालिकाना हक टाटा संस की सहायक कंपनी इवॉर्ट इन्वेस्टमेंट के पास है। उस घर का भविष्य भी इर्ट कंपनी द्वारा ही तय किया जाएगा। एक चौथाई एकड़ में फैला जुहू स्थित घर भी रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा और उनकी सौतेली मां सिमोन टाटा को उनके पिता नवल टाटा की मृत्यु के बाद ही विरासत में मिला था। हांलाकि यह प्रॉपर्टी बीते दो दशकों से बंद है।
रतन टाटा के कारों के कलेक्शन का क्या
रतन टाटा के पास 20-30 लग्जरी कारों का संग्रह था। जिसे फिलहाल हेलेकाई निवास और ताज वेलिंगटन म्यूज सर्विस अपार्टमेंट में रखा गया है। इसे पुणे के म्यूजियम में प्रदर्शन के लिए रखा जा सकता है, जहां इसकी नीलमी हो सकती है।
100 बिलियन डॉलर से अधिक की नेटवर्थ वाली कंपनी होने के बावजूद भी टाटा कभी भी अमीरों की लिस्ट में नहीं रहे। इसका कारण है टाटा ग्रुप की कंपनियों में उनकी सीमित व्यक्तिगत हिस्सेदारी। हांलाकि उनके वसीयत की जांच बॉम्बे हाइकोर्ट द्वारा किए जाने की उम्मीद है। इस प्रक्रिया में कई महीने लगने की संभावना है।
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