बिजनेस डेस्क : भारत के आम आदमी और विशेष रूप से मिडिल क्लास को एक और बड़ी राहत मिली है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पांच साल बाद अपने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की है। अब रेपो रेट 6.25% हो गया है, जबकि इससे पहले यह 6.50% था। इस बदलाव से न सिर्फ लोन की दरों में कमी आएगी, बल्कि आपके मासिक ईएमआई (EMI) में भी राहत मिल सकती है। इस फैसले के बारे में आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए उठाया गया है।
क्यों जरूरी थी यह कटौती
आरबीआई ने रेपो रेट में इस कटौती का निर्णय वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और घरेलू महंगाई के मद्देनजर लिया। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में कई संकट सामने आ रहे हैं, जिसमें जियो-पॉलिटिकल टेंशन, बढ़ती महंगाई और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा बार-बार ब्याज दरों में कटौती जैसे मुद्दे शामिल हैं। इन सभी कारणों ने भारतीय रुपये को दबाव में डाला है और भारतीय रिजर्व बैंक के सामने कई बड़ी चुनौतियां खड़ी की हैं।
इसके बावजूद, आरबीआई ने भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने और मिडिल क्लास की जेब को ध्यान में रखते हुए यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस फैसले से न सिर्फ महंगाई में कमी आएगी, बल्कि निवेश और खपत को बढ़ावा मिलने की संभावना भी है।
लोन और EMI पर असर
रेपो रेट में कटौती का सीधा असर लोन की दरों पर पड़ता है। जब रेपो रेट घटता है, तो बैंकों के लिए ऋण लेने की लागत कम हो जाती है। इसका फायदा आम आदमी को मिलता है क्योंकि बैंकों को अपने लोन की दरें घटानी होती हैं, जिससे लोन की मासिक किस्त (EMI) कम हो जाती है। इसका मतलब यह है कि आपके होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन की ईएमआई कम हो सकती है, जिससे आपकी मासिक वित्तीय जिम्मेदारी कम हो सकती है।
यह बदलाव खासकर उन लोगों के लिए राहत का सबब बन सकता है जिनके पास ऋण हैं और जिनकी ईएमआई भारी पड़ रही थी। इसके अलावा, यह कदम उन व्यक्तियों के लिए भी लाभकारी हो सकता है जो आगे जाकर लोन लेने का विचार कर रहे हैं।
विकास दर का अनुमान और महंगाई नियंत्रण की दिशा
भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.7% रखा है। इसके तहत, वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) में 6.7%, जबकि दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2025) में 7% ग्रोथ का अनुमान है। हालांकि, चौथी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2025 और जनवरी-मार्च 2026) में ग्रोथ दर 6.5% तक रह सकती है।
आरबीआई के गवर्नर ने यह भी कहा कि महंगाई को काबू में रखने के प्रयास जारी रहेंगे और इस वित्त वर्ष में महंगाई दर 4.8% तक रहने का अनुमान है। दिसंबर में, रिटेल महंगाई दर 5.22% के स्तर पर आ गई, जो चार महीने का निचला स्तर था, जबकि थोक महंगाई दर 2.37% रही, जो नवंबर में 1.89% थी। यह संकेत है कि महंगाई पर नियंत्रण पाने में आरबीआई का प्रयास सफल हो रहा है।
भारत के लिए चुनौतीपूर्ण समय
आरबीआई के सामने कई वैश्विक और घरेलू चुनौतियाँ हैं, जिनका असर भारतीय रुपये और महंगाई पर पड़ा है। हालांकि, रिजर्व बैंक इन सभी परिस्थितियों में भी देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है। इस समय में, निवेशकों और व्यापारियों को भी सरकार की सिक्योरिटी से जुड़ी नई पहल का लाभ मिल सकता है। आरबीआई ने निवेशकों को सरकारी सिक्योरिटीज में ट्रेडिंग के लिए सेबी द्वारा पंजीकृत प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने की सलाह दी है, ताकि निवेश में पारदर्शिता और सुरक्षा बनी रहे।
Read Also- Reserve Bank of India Live Update : RBI का बड़ा एलान : 5 साल बाद रेपो रेट में कटौती होगी!