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CENTRAL UNIVERSITY JHARKHAND: सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड में इंटरनल ग्रीवांस सेल बनाने की सिफारिश

by Vivek Sharma
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रांची: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा ने मंगलवार को सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड की समीक्षा की। इस दौरान विश्वविद्यालय में कर्मचारियों और छात्रों के लिए इंटरनल ग्रीवांस सेल बनाने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि इस सेल में एक एसटी और एक महिला सदस्य को शामिल किया जाए, ताकि अनुसूचित जनजाति से संबंधित मामलों का निवारण समयबद्ध व निष्पक्ष तरीके से किया जा सके।

तीन चरण में समीक्षा


डॉ आशा लकड़ा ने बताया कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कई मामलों की समीक्षा तीन चरणों में की गई। इनमें अजीत किसपोट्टा की ग्रेच्युटी, डा वाटर वे के निधन के बाद उनके आश्रितों को अनुकंपा आधारित नौकरी न मिलने, दीपक कुमार और सुमन रंजनी की मृत्यु के बाद उनके परिवारों को लाभ नहीं मिलने जैसी समस्याओं को उठाया गया। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रबंधन को इन मामलों की रिपोर्ट तैयार कर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को भेजने का निर्देश दिया।


नॉन-टीचिंग स्टाफ के लिए कोई नियमावली नहीं


उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय में नॉन-टीचिंग स्टाफ के लिए कोई नियमावली नहीं बनाई गई है। वहीं सहायक प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति नहीं की गई, खासकर अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए। इसके अलावा विश्वविद्यालय में अनुसूचित जनजाति के छात्रों की संख्या बहुत कम है, जिसके लिए प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। उन्होंने कुलपति को निर्देश दिया कि वे नॉन-टीचिंग स्टाफ के प्रमोशन के लिए नियमावली तैयार करें और अनुसूचित जाति के छात्रों के नामांकन के लिए प्रचार करें।


यूजीसी गाइडलाइन का पालन करें


साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय को यूजीसी गाइडलाइंस के अनुसार फी स्ट्रक्चर और छात्रवृत्तियों का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया। जिससे कि अनुसूचित जनजाति के छात्रों को इसका लाभ मिल सके। इसके अलावा, विश्वविद्यालय में एसटी छात्रों के पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करने का भी आदेश दिया गया ताकि वे नौकरी के इंटरव्यू में सफल हो सकें। समीक्षा के दौरान डॉ. आशा लकड़ा ने विश्वविद्यालय में कार्यरत एसटी प्रोफेसरों, नॉन-टीचिंग स्टाफ और अध्ययनरत एसटी छात्रों से भी संवाद किया।

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