मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने छोटे किसानों को राहत देते हुए कृषि लोन (Agricultural Loan) की सीमा को बढ़ाकर 2 लाख रुपये तक कर दी है। यह फैसला RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक में लिया गया। इस निर्णय का उद्देश्य किसानों को बेहतर वित्तीय सहायता प्रदान करना और कृषि क्षेत्र में लोन की उपलब्धता को बढ़ाना है।
कृषि लोन की कोलेटरल लिमिट में वृद्धि
आरबीआई ने कृषि लोन के लिए कोलेटरल लिमिट (सुरक्षा सीमा) को बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया है। पहले यह सीमा 1.6 लाख रुपये थी। इस वृद्धि का मुख्य उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को अधिक वित्तीय सहायता मुहैया कराना है। इस कदम से किसानों को उनके कृषि कार्यों के लिए अतिरिक्त ऋण प्राप्त करने में आसानी होगी, जो कृषि उत्पादन बढ़ाने और उनकी आय में सुधार करने में सहायक साबित होगा।
किसानों को मिलेगा अधिक लोन
कृषि क्षेत्र में लोन की उपलब्धता बढ़ाने का यह कदम किसानों को वित्तीय स्थिरता देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। कृषि कार्यों के लिए ऋण की जरूरत समय-समय पर पड़ती रहती है, और इस सीमा में वृद्धि से किसानों को कृषि के लिए जरूरी पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, इस कदम से छोटे किसानों को जो पहले छोटी सीमा के कारण लोन लेने में दिक्कत महसूस करते थे, उन्हें राहत मिलेगी और वे अपने कृषि कामों के लिए बड़े ऋण का लाभ उठा सकेंगे।
RBI की मौद्रिक नीति में स्थिरता
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने इस अवसर पर रेपो दर को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है। रेपो दर वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उधार देता है। यह निर्णय उन बैंकिंग नीतियों के बीच संतुलन बनाए रखने का है, जो देश की अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखते हैं।
आरबीआई द्वारा कृषि लोन की सीमा बढ़ाए जाने के बाद, अब किसानों को ज्यादा पूंजी मिल सकेगी, जिससे उनके लिए कृषि कार्यों में निवेश करना आसान हो जाएगा। साथ ही, इस कदम से कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने, नई तकनीकों को अपनाने, और अधिक फसल उगाने की संभावना मजबूत होगी। कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का बहुत बड़ा योगदान है।
रेपो दर को स्थिर रखने का निर्णय उपभोक्ताओं और कारोबारों के लिए राहत प्रदान करेगा, क्योंकि इससे ऋण की लागत पर कोई अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा। यह निर्णय आरबीआई के प्रयासों को दर्शाता है, जो महंगाई को नियंत्रित करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है।
RBI का उद्देश्य
आरबीआई का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कृषि क्षेत्र में बैंकों से लोन की उपलब्धता बढ़े, ताकि किसानों को उनकी जरूरत के अनुसार पर्याप्त ऋण मिल सके। इसके साथ ही, इस फैसले से छोटे किसानों को राहत मिलेगी और उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत होगी।
इस कदम से यह भी संकेत मिलता है कि आरबीआई किसानों के वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें उनकी कृषि संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से सुलभ और सस्ता ऋण उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है।
आरबीआई द्वारा कृषि लोन की सीमा बढ़ाने का यह कदम छोटे किसानों के लिए एक बड़ी राहत का प्रतीक है। इससे न केवल किसानों को अधिक वित्तीय सहायता मिलेगी, बल्कि कृषि क्षेत्र में लोन की उपलब्धता को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे भारतीय कृषि क्षेत्र की समृद्धि और किसानों की आय में वृद्धि होने की उम्मीद है। इसके साथ ही, यह निर्णय अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखने में भी सहायक होगा।
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