धर्म-ज्ञान: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। कार्तिक माह की पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर को दोपहर 3 बजकर 53 मिनट से अगले दिन 27 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट तक है। उदया तिथि होने के कारण कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को मनाई जाएगी। कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त सुबह 4 बजकर 53 मिनट से 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व
कार्तिक पूर्णिमा, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हिंदी पंचांग में कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार अक्टूबर और नवंबर के बीच में पड़ता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन होती है भगवान विष्णु की पूजा धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है और इसे विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। इस त्योहार का पहला महत्वपूर्ण धार्मिक आधार है कि इसे भगवान विष्णु की पूजा का अवसर माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को ‘कार्तिकी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है और इसे तुलसी पूजा का त्योहार भी माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु अपने घरों में तुलसी का पौधा सजाकर पूजा करते हैं और इसे समर्पित करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा का अन्य एक महत्वपूर्ण पहलू उपवास का है। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति कार्तिक मास के अंत तक विशेष व्रत में रहते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।
श्रद्धालु करते हैं गंगा स्नान
कार्तिक पूर्णिमा का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू गंगा स्नान का है। इस दिन लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं और अपने पितृदेवों की श्राद्ध करते हैं। इसे अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करने का एक श्रेष्ठ अवसर माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार विभिन्न भागों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, जैसे दीपावली, गोवत्स द्वादशी, विष्णुपदी, तुला संक्रांति आदि। इन सभी समारोहों में विभिन्न पूजा विधियां और रस्में शामिल होती हैं, जिनसे समृद्धि और धार्मिक पुण्य प्राप्त होता है। इस अद्भुत त्योहार के दौरान लोग भगवान की पूजा, दान और सेवा कार्य कर अच्छे कर्मों का अधिकारी बनने का प्रयास करते हैं।
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