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संताली लेखकों के दो दिवसीय सम्मेलन में साहित्य को नई ऊंचाई पर ले जाने का संकल्प

इस सम्मेलन में कुल 19 नई संताली पुस्तकों का विमोचन किया गया, जो संताली साहित्य में एक महत्वपूर्ण कदम है।

by Anand Mishra
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पुरुलिया (पश्चिम बंगाल) : ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन (AISWA), पश्चिम बंगाल शाखा द्वारा आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन का सफल समापन हुआ। यह सम्मेलन पुरुलिया जिले के फुलचाँद हाई स्कूल, बलरामपुर में हुआ, जिसमें संताली साहित्य के विकास और विविध पहलुओं पर चर्चा की गई।

उद्घाटन सत्र की विशेषताए


सम्मेलन का उद्घाटन सत्र सांसद पद्मश्री कालीपद सोरेन की उपस्थिति में हुआ। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में विधायक राजिव लोचन सोरेन और अन्य विशिष्ट अतिथि शामिल हुए। सम्मेलन में झाड़ग्राम जिला के सभापति चिन्मय मरांडी, पुरुलिया जिला परिषद् के मेंटर अघोर हेम्ब्रोम, और AISWA के केंद्रीय अध्यक्ष लक्ष्मण किस्कू जैसे प्रमुख लोग उपस्थित थे। सत्र का संचालन सुब्रतो बास्के ने किया।
इन्हें किया गया सम्मानित
• गुहिराम हेम्ब्रोम पुरस्कार: गुरुपोदो सोरेन
• धीरेन्द्र नाथ बास्के पुरस्कार: गणेश मरांडी
• रूपचांद हेम्ब्रोम पुरस्कार: अंजलि किस्कू
• जदुनाथ टुडू पुरस्कार: दुर्गा प्रसाद हेम्ब्रोम
• यु सी मण्डी पुरस्कार: सूरजमुनि मुर्मू
• रामचंद्र बास्के पुरस्कार: शोभा रानी किस्कू
सम्मेलन में राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत प्रतिनिधियों का भी सम्मान किया गया, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने वाले तुरीया चांद बास्के और अन्य शामिल हैं।

विमोचन और चर्चाएं


इस सम्मेलन में कुल 19 नई संताली पुस्तकों का विमोचन किया गया, जो संताली साहित्य में एक महत्वपूर्ण कदम है। चर्चा के विषयों में शामिल थे:
• संताली साहित्य में भाषा का मानकीकरण
• अनुवाद की आवश्यकता
• महिलाओं की भूमिका
• युवा लेखकों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता


अंतिम सत्र में सर्वसम्मति से कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए

  • महिला लेखक सम्मेलन: 24 नवम्बर को अरण्य सुंदरी महासंघ, झाड़ग्राम में AISWA महिला विंग द्वारा।
  • युवा संताली लेखकों का सम्मेलन: 15 दिसंबर को चाकुलिया, पूर्वी सिंहभूम में।
  • अखिल भारतीय लेखक सम्मेलन: 28 और 29 दिसंबर को दिशोम जाहेर, करनडीह, जमशेदपुर में।

इस प्रकार, पुरुलिया में हुआ यह सम्मेलन न केवल संताली साहित्य को नई दिशा देने में मदद करेगा, बल्कि आगामी पीढ़ी के लेखकों को भी प्रेरित करेगा। संताली भाषा और संस्कृति के प्रति प्रेम और सम्मान का यह उत्सव निश्चित रूप से आगे बढ़ेगा।

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