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Jamshedpur DAV public School BPL admission : जिला मुख्यालय में जांच टीम के सामने प्रस्तुत हुईं डीएवी स्कूल की प्राचार्य प्रज्ञा सिंह, पांच बच्चों के एडमिशन पर अभी सस्पेंस, जानें क्या है कारण

by Anand Mishra
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Jamshedpur (Jharkhand) : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act – RTE) 2009 के तहत बीपीएल (BPL) श्रेणी के बच्चों का नामांकन नहीं करने को लेकर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपना लिया है। RTE के उल्लंघन मामले में जिला प्रशासन की कार्रवाई के दायरे में बिष्टुपुर स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल आ चुका है। प्रशासन की ओर से इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन उपायुक्त अनन्य मित्तल ने एक तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच टीम का गठन किया था। इस टीम में एडीसी (Additional Deputy Commissioner) भगीरथ प्रसाद को अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि अन्य दो सदस्य जमशेदपुर अक्षेस के उप नगर आयुक्त कृष्णा कुमार और जिला शिक्षा अधीक्षक (DSE) आशीष पांडेय हैं। जिला प्रशासन की सख्ती को देखते हुए स्कूल की प्राचार्य प्रज्ञा से बुधवार को जिला मुख्यालय पहुंची और जांच टीम के समक्ष प्रस्तुत हुईं. प्रज्ञा सिंह जिला मुख्यालय पहुंचीं और जांच टीम के समक्ष स्कूल का पक्ष रखा।

30 में से सिर्फ 11 बच्चों का हुआ था नामांकन

प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन ने बीपीएल श्रेणी के अंतर्गत डीएवी पब्लिक स्कूल को कुल 30 बच्चों की नामांकन सूची भेजी थी। स्कूल ने इनमें से केवल 11 बच्चों का नामांकन स्वीकार किया।

शेष 19 बच्चों का नामांकन स्कूल ने अस्वीकार कर दिया, जिसमें उम्र संबंधी मुद्दे और स्कूल से दूरी को कारण बताया गया। यह बात तत्कालीन उपायुक्त अनन्य मित्तल तक पहुंची, जब इन बच्चों के अभिभावकों ने इसकी शिकायत दर्ज कराई थी।

14 बच्चों के नामांकन पर सहमति, 5 पर अब भी संशय

बैठक के दौरान प्राचार्य प्रज्ञा सिंह ने 14 अतिरिक्त बच्चों के नामांकन पर अपनी सहमति दे दी, जिससे कुल नामांकित बच्चों की संख्या अब 25 हो गई है। हालांकि शेष 5 बच्चों के मामले में अब भी स्कूल की ओर से स्पष्ट हामी नहीं भरी गई है।

इन पांच बच्चों की उम्र को लेकर अब भी असमंजस बना हुआ है। प्राचार्य ने टीम को बताया कि कुछ बच्चों की उम्र निर्धारित मानकों से कम है, जबकि कुछ का निवास विद्यालय से बहुत दूर है, जिससे उनकी सुरक्षा और उपस्थिति पर प्रभाव पड़ सकता है। जांच टीम इन मामलों की भी गहनता से जांच करेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी योग्य बच्चे के अधिकारों का हनन न हो।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) 2009 : एक नजर

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत निजी स्कूलों को यह अनिवार्य है कि वे अपनी कुल सीटों में से 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) और वंचित समूहों (Disadvantaged Groups) के बच्चों के लिए आरक्षित रखें। इस अधिनियम के उल्लंघन की स्थिति में जिला प्रशासन को जांच और दंडात्मक कार्रवाई का अधिकार प्राप्त है।

माना जा रहा है कि डीएवी पब्लिक स्कूल, बिष्टुपुर के खिलाफ जांच यह स्पष्ट संकेत देती है कि जिला प्रशासन अब आरटीई के प्रावधानों को लेकर गंभीर है और किसी भी स्कूल द्वारा बच्चों के अधिकारों की अनदेखी पर सख्त कदम उठाने को तैयार है। अब देखना यह होगा कि जांच के अंतिम निष्कर्ष क्या निकलते हैं और बाकी पांच बच्चों के भविष्य को लेकर क्या निर्णय लिया जाता है।

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