Chaibasa (Jharkhand) : पश्चिम सिंहभूम जिले में स्थित स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) की महत्वपूर्ण किरीबुरु और मेघाहातुबुरु लौह अयस्क खदानों के लिए एक लंबे इंतजार के बाद आखिरकार खुशखबरी आ ही गई। इन दोनों खदानों को कुल 247 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए स्टेज-2 वन स्वीकृति मिल गई है। रविवार को सारंडा के डीएफओ अविरुप सिन्हा ने इस खबर की पुष्टि की, जिससे इस पहाड़ी क्षेत्र में SAIL के लिए लौह अयस्क खनन फिर से शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है।
खदान प्रबंधन के वर्षों के प्रयास हुए सफल
पिछले कई वर्षों से खदान प्रबंधन इस महत्वपूर्ण स्वीकृति के लिए लगातार प्रयास कर रहा था। विशेष रूप से मेघाहातुबुरु खदान की स्थिति काफी नाजुक बनी हुई थी, जहां उच्च गुणवत्ता वाले लौह अयस्क का भंडार लगभग समाप्त हो चुका था और संयंत्रों को केवल निम्न श्रेणी का अयस्क ही भेजा जा रहा था।
हजारों लोगों की आजीविका को मिला सहारा
आपको बता दें कि SAIL के बोकारो और राउरकेला जैसे बड़े संयंत्रों को कच्चे माल की आपूर्ति इन्हीं खदानों से होती है। ऐसे में अगर ये खदानें बंद हो जातीं, तो न केवल उत्पादन ठप हो जाता, बल्कि यहां काम करने वाले हजारों लोगों की आजीविका पर भी गंभीर संकट आ जाता। स्टेज-2 की यह स्वीकृति मिलने से अब इन खदानों की माइनिंग लाइफ में 20 साल का महत्वपूर्ण इजाफा हो गया है।
डीएमएफटी फंड से विकास कार्यों को मिलेगी गति
इस मंजूरी से जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) फंड के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, जल आपूर्ति और सड़क जैसी महत्वपूर्ण विकास योजनाओं को भी बिना किसी रुकावट के चलाया जा सकेगा। यह स्वीकृति न केवल इन खदानों के लिए बल्कि पूरे राज्य के औद्योगिक विकास और इस आदिवासी बहुल क्षेत्र के भविष्य के लिए भी एक वरदान साबित होगी। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी काफी बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।