कोलकाता : Shree Ganesh Chaturthi 2024 : श्री गणेश चतुर्थी का त्योहार शनिवार 7 सितंबर से प्रारंभ हो जाएगा। इसे लेकर चहुंओर चहल पहल बढ़ गई है। सनातन संस्था, कोलकाता की बबीता गांगुली बता रही हैं श्री गणेश चतुर्थी का माहात्म्य।
Shree Ganesh Chaturthi 2024 : गणेश चतुर्थी का महत्व
आषाढ़ पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक, इन 120 दिनों में विनाशकारक, तमप्रधान यम तरंगें पृथ्वीपर अधिक मात्रा में आती हैं। इस कालमें उनकी तीव्रता अधिक होती है तथा इसी कालमें अर्थात भाद्रपद शुक्ल चतुर्थीसे अनंत चतुर्दशी तक, श्री गणेश तरंगों के पृथ्वी पर अधिक मात्रा में आने से, यमतरंगों की तीव्रता को घटाने में सहायता मिलती है। श्री गणेश चतुर्थी पर तथा गणेशोत्सव काल में नित्य की तुलना में पृथ्वी पर गणेशतत्व 1,000 गुना अधिक कार्यरत रहता है।
इस काल में की गई श्री गणेशोपासना से गणेशतत्व का लाभ अधिकाधिक होता है। श्री गणेश चतुर्थी के दिन पूजन हेतु श्री गणेशजी की नई मूर्ति लाई जाती है । पूजाघर में रखी श्री गणेशमूर्ति के अतिरिक्त, इस मूर्ति का स्वतंत्र रूप से पूजन किया जाता है।
Shree Ganesh Chaturthi 2024 : नई मूर्ति का प्रयोजन क्यों
पूजाघर में गणपति की मूर्ति होते हुए भी नई मूर्ति लाने का उद्देश्य इस प्रकार है – श्री गणेश चतुर्थी के समय पृथ्वी पर गणेशतरंगें अत्यधिक मात्रा में आती हैं। उनका आवाहन यदि पूजा घर में रखी गणपति की मूर्ति में किया जाए तो उसमें अत्यधिक शक्ति की निर्मिति होगी।
इस ऊर्जित मूर्ति की उत्साहपूर्वक विस्तृत पूजा-अर्चना वर्ष भर करना अत्यंत कठिन हो जाता है। उसके लिए कर्मकांड के कड़े बंधनों का पालन करना पड़ता है, इसलिए गणेश तरंगों के आवाहन के लिए नई मूर्ति उपयोग में लाई जाती है। तदुपरांत उसे विसर्जित किया जाता है। सामान्य व्यक्ति के लिए गणेश तरंगों को अधिक समय तक सह पाना संभव नहीं। इसलिए कि, गणपति की तरंगों में सत्त्व, रज एवं तम का अनुपात 5:5:5 होता है, तथापि सामान्य व्यक्ति में इसका अनुपात 1:3:5 होता है।
Shree Ganesh Chaturthi 2024 : श्री गणेश चतुर्थी के दिन पूजी जानेवाली मूर्ति घर कैसे लाएं
श्री गणेशजी की मूर्ति घर लाने के लिए घर के कर्ता पुुरुष अन्य के साथ जाए। मूर्ति हाथ में लेने वाला व्यक्ति सात्विक वेशभूषा अर्थात धोती-कुर्ता अथवा कुर्ता-पजामा पहने। वह सिर पर टोपी भी पहने। मूर्ति लाते समय उस पर रेशमी, सूती अथवा खादी का स्वच्छ वस्त्र डालें।
मूर्ति घर लाते समय मूर्ति का मुख लाने वाले की ओर तथा पीठ सामने की ओर हो। मूर्ति के सामने के भाग से सगुण तत्त्व, जबकि पीछे के भाग से निर्गुण तत्व प्रक्षेपित होता है। मूर्ति हाथ में रखने वाला पूजक होता है। वह सगुण के कार्य का प्रतीक है। मूर्तिका मुख पूजक की ओर करने से उसे सगुण तत्व का लाभ होता है और अन्य को निर्गुण तत्व का लाभ होता है। मूर्ति घर में लाते समय हमें ऐसा भाव रखना चाहिए कि वास्तव में भगवान हमारे घर आनेवाले हैं।
श्री गणेशजी की जय-जयकार और भावपूर्ण नामजप करते हुए मूर्ति घर लाएं। घर की देहरी के बाहर खडे़ रहें और घर की सुहागिन स्त्री मूर्ति लानेवाले के पैरों पर दूध और तत्पश्चात जल डाले। घर में प्रवेश करने से पूर्व मूर्ति का मुख सामने की ओर करें। तदुपरांत मूर्ति की आरती कर उसे घर में लाएं।
Shree Ganesh Chaturthi 2024 : श्री गणेश के आगमनके उपरांत उनका लाभ कैसे लें
श्री गणेशजी के घर आने के उपरांत उनका नामजप करें तथा शास्त्रानुसार पूजा करें। सर्वप्रथम आचमन करें। उसके उपरांत देशकाल का उच्चारण कर विधि का संकल्प करें। उसके उपरांत शंख, घंटा, दीप इत्यादि पूजासंबंधी उपकरणोंका पूजन किया जाता है। तत्पश्चात श्री गणेश मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है। श्रीगणेशजी को अड़हुल के पुष्प व दूर्वा अर्पण करते हैं। गणेशपूजन में दूर्वा का विशेष महत्व है। देवताओं की भावपूर्ण आरती करें, प्रार्थना के साथ आर्तता से पुकारें तथा श्री गणपति का गुणगान करने वाले भजन करें। श्रीगणेश को न्युनतम 8 अथवा 8 की गुना में परिक्रमा करें।
इस प्रकार स्वागत के साथ लाई गई श्री गणेश की मूर्ति का पूजन-अर्चन, स्तोत्रपाठ, नामजप इत्यादि कृत्य भावसहित करनेसे हमें श्री गणेश के तत्व का लाभ मिलता है। इसके साथ ही वातावरण में प्रक्षेपित उनसे संबंधित भाव, चैतन्य, आनंद एवं शांति की तरंगों का भी हमें लाभ मिलता है।
Shree Ganesh Chaturthi 2024 : परिवार के किस सदस्य को यह व्रत रखना चाहिए
श्री गणेश चतुर्थी के दिन रखे जाने वाले व्रत को ‘सिद्धिविनायक व्रत’ के नाम से जाना जाता है। वास्तव में परिवार के सभी सदस्य यह व्रत रखें। सभी भाई यदि एक साथ रहते हों, अर्थात सभी का एकत्रित द्रव्यकोष (खजाना) एवं चूल्हा हो, तो मिलकर एक ही मूर्ति का पूजन करना उचित है। यदि सब के द्रव्यकोष और चूल्हे किसी कारणवश भिन्न–भिन्न हों, तो उन्हें अपने–अपने घरों में स्वतंत्र रूप से गणेश व्रत रखना चाहिए।
कुछ परिवारों में कुलाचारानुसार अथवा पूर्व से चली आ रही परंपरा के अनुसार एक ही श्री गणेशमूर्ति पूजन की परंपरा है। ऐसे घरों में प्रतिवर्ष भिन्न–भिन्न भाई के घर श्री गणेश मूर्ति की पूजा की जाती है। कुलाचार के अनुसार अथवा पूर्व से चली आ रही एक ही श्री गणेशमूर्ति के पूजन की परंपरा तोड़नी न हो, तो जिस भाई में गणपति के प्रति भक्तिभाव अधिक है, उसी के घर गणपति की पूजा करना उचित होगा।
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