छपरा : बिहार के सारण जिले में आयोजित होने वाला विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला, अब अपने पारंपरिक पशु बाजार के अलावा अन्य सरकारी सेवाओं के लिए भी चर्चित हो रहा है। मेला में इस बार एक नई पहल देखने को मिल रही है, जिससे ग्रामीण इलाकों के लोग अपनी जमीन से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी और नक्शे आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। यह कदम राज्य सरकार और जिला प्रशासन का एक अहम प्रयास है, जिसका उद्देश्य भूमि सर्वेक्षण को पारदर्शी और सरल बनाना है।
सोनपुर मेला में सरकारी कैंप का स्टाॅल
सोनपुर मेला में राज्य के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा लगाए गए कैंप (स्टाॅल) ने सरकार के विभिन्न योजनाओं और सेवाओं को आम जनता तक पहुंचाने का काम किया है। इन कैंप्स में खास तौर पर भूमि सर्वेक्षण से संबंधित जानकारी दी जा रही है। जमीन से जुड़ी जानकारी अब ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीकों से मेले में उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे गांव के लोग अपने भूमि सर्वेक्षण की स्थिति और विवरण को सरलता से समझ सकते हैं।
किसानों के लिए उपलब्ध भूमि के नक्शे
बिहार सरकार ने एक नया कदम उठाते हुए मेले में किसानों के लिए जमीन के नक्शे उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। राज्य के विभिन्न जिलों से आए ग्रामीण अब अपने गांव का नक्शा मेला में खरीद सकते हैं। इन नक्शों को प्राप्त करने के लिए किसानों को सिर्फ 10 रुपये की पर्ची पर अपना विवरण भरना होता है, जिसमें नाम, पिता का नाम, खाता, खेसरा नंबर, गांव का नाम, और संबंधित राजस्व थाना की जानकारी शामिल होती है। इस प्रक्रिया के बाद किसान अपना नक्शा प्राप्त कर सकते हैं, जो उन्हें अपनी जमीन को समझने और उसकी देखभाल में मदद करेगा।
नक्शे की उपलब्धता और प्रक्रिया
मेले में छोटे और बड़े गांवों के नक्शे अलग-अलग तरीके से दिए जा रहे हैं। छोटे गांवों का नक्शा एक शीट में दिया जाता है, जबकि बड़े गांवों का नक्शा एक से अधिक शीट में उपलब्ध कराया जाता है। इससे किसानों को अपनी जमीन के बारे में विस्तृत जानकारी मिल रही है और वे इसे आसानी से समझ पा रहे हैं। यह कदम सरकार के प्रयासों का हिस्सा है, जो भूमि सर्वेक्षण को ज्यादा पारदर्शी और सुलभ बनाने पर जोर दे रहा है।
उमड़ रही है भीड़, लेकिन कुछ समस्याएं भी
हालांकि यह पहल ग्रामीणों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हो रही है, लेकिन कुछ समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है। नक्शा लेने के लिए लंबी कतारें लग रही हैं और लोगों को काफी इंतजार करना पड़ रहा है। इसके बावजूद, सरकारी कर्मचारियों की कमी या खाली कुर्सियां सरकार के प्रयासों पर सवाल खड़ा कर रही हैं। कई बार कर्मचारियों की अनुपस्थिति के कारण लोगों को कठिनाई हो रही है और मेले में आए लोग इस समस्या को लेकर परेशान हैं।
सरकारी प्रयासों को और बेहतर बनाने की जरूरत
यह पहल निश्चित रूप से सकारात्मक है, लेकिन यदि इसे और अधिक प्रभावी बनाना है तो सरकारी कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाना और उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करना जरूरी है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि ज्यादा से ज्यादा लोग बिना किसी समस्या के अपने नक्शे प्राप्त कर सकें और भूमि से संबंधित जानकारी आसानी से पा सकें।
सोनपुर मेला में भूमि सर्वेक्षण के संबंध में यह पहल एक महत्वपूर्ण कदम है, जो बिहार सरकार के प्रयासों को और भी अधिक प्रभावी बना सकती है। हालांकि, इस प्रक्रिया में कुछ सुधार की आवश्यकता है, जैसे कि कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि और बेहतर व्यवस्थाएँ, ताकि ग्रामीणों को अधिक सुविधा हो। ऐसे आयोजनों से यह साबित होता है कि सरकार अब पारंपरिक मेला आयोजन से कहीं आगे बढ़कर ग्रामीणों की जरूरतों को पूरा करने के लिए काम कर रही है।
Read Also- Farmers Delhi March: दिल्ली की ओर नहीं बढ़ेगा किसान आंदोलन, शंभू बॉर्डर पर छोड़े गए आंसू गैस के गोले