हैदराबाद : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जब उसने अपने स्पेसडेक्स मिशन (SpaDeX Mission) के तहत पहली बार सफलतापूर्वक सैटेलाइट्स के अनडॉकिंग (de-docking) प्रक्रिया को पूरा किया। इस महत्वपूर्ण सफलता के साथ, भारत ने अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग की तकनीक में अपनी दक्षता को साबित कर दिया है, जो भविष्य में कई अन्य अंतरिक्ष मिशनों के लिए बेहद अहम साबित हो सकती है।
स्पेसडेक्स मिशन का महत्व
स्पेसडेक्स मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स के आपस में जुड़ने और फिर अलग होने की प्रक्रिया को टेस्ट करना था। इस मिशन के तहत, दो सैटेलाइट्स को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में भेजा गया था। इनमें से एक सैटेलाइट को ‘चेज़र’ नाम दिया गया, जिसे SDX-1 कहा जाता है, और दूसरे सैटेलाइट को ‘टारगेट’ नाम दिया गया, जिसे SDX-2 कहा जाता है। दोनों सैटेलाइट्स ने पहले सफलतापूर्वक डॉकिंग प्रक्रिया पूरी की और फिर 16 जनवरी 2025 को अनडॉकिंग की प्रक्रिया को भी सफलतापूर्वक पूरा किया।
अनडॉकिंग प्रक्रिया को लेकर ISRO की घोषणा
ISRO ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पहले ट्विटर) पर इस मिशन की सफलता की घोषणा की। इस दौरान उन्होंने अनडॉकिंग प्रक्रिया के घटनाक्रम के बारे में भी जानकारी दी। ISRO ने बताया कि SDX-2 एक्सटेंशन को सफलतापूर्वक पूरा किया गया, और कैप्चर लीवर 3 को योजनानुसार रिलीज़ किया गया। इसके अलावा, SDX-1 और SDX-2 सैटेलाइट्स में डिकैप्चर कमांड भी जारी किए गए। इन तमाम गतिविधियों के साथ, मिशन के प्रमुख लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
सफलता और भविष्य के मिशनों के लिए महत्व
स्पेसडेक्स मिशन ने एक नई तकनीकी क्षमता को भी प्रदर्शित किया है, जो अंतरिक्ष में सैटेलाइट सर्विसिंग, अंतरिक्ष स्टेशन संचालन और अन्य ग्रहों की खोज जैसे महत्वाकांक्षी मिशनों के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस मिशन की सफलता से ISRO ने यह साबित कर दिया है कि वह अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग करने में सक्षम है, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक अहम उपलब्धि है।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी इस सफलता पर ISRO की टीम को बधाई दी और ट्वीट किया कि “स्पैडेक्स सैटेलाइट ने अविश्वसनीय तरीके से अनडॉकिंग का कार्य पूरा किया है। इससे भारत के भविष्य के बड़े मिशनों, जैसे भारत का अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान-4 और गगनयान को लेकर एक स्पष्ट रास्ता खुलता है।”
स्पेसडेक्स मिशन का उद्देश्य
स्पेसडेक्स मिशन के तहत, ISRO ने उस तकनीक का परीक्षण किया है, जिसके जरिए दो सैटेलाइट्स को आपस में जोड़ना और फिर अलग करना संभव हो सकता है। यह तकनीक भविष्य में सैटेलाइट्स की मरम्मत, सर्विसिंग, और अंतरिक्ष स्टेशन के संचालन के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इसके अलावा, इस तकनीक का उपयोग अन्य ग्रहों की खोज करने के लिए भी किया जा सकता है, जिससे अंतरिक्ष मिशन और भी प्रगति कर सकते हैं।
भारत के अंतरिक्ष अभियान में एक और कदम
स्पेसडेक्स मिशन की सफलता ने भारत को उन देशों के समूह में शामिल कर लिया है, जो अंतरिक्ष में सैटेलाइट डॉकिंग और अनडॉकिंग के तकनीकी कौशल में माहिर हैं। यह ISRO की निरंतर मेहनत और प्रगति को दर्शाता है, जो वैश्विक स्तर पर भारत को एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित कर रहा है।
भविष्य में बड़े मिशनों के लिए रास्ता
स्पेसडेक्स मिशन की सफलता से भारत के भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक नई दिशा खुल गई है। इस मिशन के सफल परिणामों से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है, और इस सफलता के साथ ISRO ने अंतरिक्ष में अपनी सशक्त उपस्थिति और क्षमताओं को और मजबूत किया है।