नई दिल्ली : भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथियों ने अंतरिक्ष में नौ महीने बिताने के बाद बुधवार तड़के सफलता के साथ पृथ्वी पर वापसी की। स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में सुनीता सहित चार अंतरिक्ष यात्री थे। यह ड्रैगन कैप्सूल फ्लोरिडा के समुद्र में लैंड हुआ। इस 17 घंटे के लंबे और जोखिमपूर्ण सफर में कई खतरों से गुजरने के बाद, एक निर्णायक 7 मिनट का वो क्षण आया, जब कैप्सूल पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर रहा था और संपर्क टूटने के कारण पूरी दुनिया की सांसें थम गईं।
वायुमंडल में प्रवेश और 1900 डिग्री तापमान
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से पृथ्वी तक का सफर हर स्पेसक्राफ्ट के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने से पहले कई उच्चतम गति और तापमान से गुजरना पड़ता है। जैसे ही ड्रैगन कैप्सूल ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया, उसका तापमान 1900 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया। यह वह समय था जब “कम्युनिकेशन ब्लैकआउट” (Communication Blackout) हो गया। यह स्थिति अंतरिक्ष यात्रा के दौरान सामान्य है, लेकिन इसके बावजूद यह हर बार एक चुनौती होती है।
7 मिनट का कम्युनिकेशन ब्लैकआउट: खतरनाक पल
जब भी कोई स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो उसकी गति लगभग 28,000 किमी प्रति घंटे की होती है। इस गति के साथ जब वह वायुमंडल से रगड़ खाता है, तो अत्यधिक गर्मी उत्पन्न होती है। इस गर्मी के कारण कैप्सूल का तापमान इतना बढ़ जाता है कि वह स्पेसक्राफ्ट के मिशन कंट्रोल से संपर्क को अस्थायी रूप से अवरुद्ध कर देता है। इसे “कम्युनिकेशन ब्लैकआउट” कहा जाता है। यह वह क्षण होता है जब स्पेसक्राफ्ट का मिशन कंट्रोल से कोई संपर्क नहीं रहता।
क्या होता है संपर्क टूटने का असर
इस 7 मिनट के अंतराल में, स्पेसक्राफ्ट का संपर्क टूटने से नासा और अन्य मिशन कंट्रोल सेंटर के लिए यह पल बेहद तनावपूर्ण होता है। इस दौरान कैप्सूल के सही तरीके से पृथ्वी पर लैंड करने की कोई गारंटी नहीं होती। 2003 में नासा के कोलंबिया अंतरिक्ष यान के साथ इसी ब्लैकआउट के दौरान हादसा हुआ था, जिसमें कल्पना चावला सहित सात अंतरिक्ष यात्री मारे गए थे। इस हादसे ने यह साबित कर दिया कि पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय यह पल सबसे खतरनाक हो सकता है।
स्पेसक्राफ्ट की सुरक्षित लैंडिंग, राहत की सांस
हालांकि, इस बार ड्रैगन कैप्सूल ने यह चुनौती पार की। सात मिनट के बाद लगभग 3:20 बजे, स्पेसक्राफ्ट से फिर से संपर्क बहाल हुआ और उसकी सुरक्षित लैंडिंग के संकेत मिले। इसके बाद, कैप्सूल को समंदर में लैंड किया गया और एक-एक करके चारों अंतरिक्ष यात्रियों को बाहर निकाला गया। इस पूरी प्रक्रिया ने यह साबित कर दिया कि जब तकनीकी विशेषज्ञता, योजना और साहस एक साथ मिलते हैं, तो कोई भी चुनौती पार की जा सकती है।
286 दिन बाद घर लौटे अंतरिक्ष यात्री
सुनीता विलियम्स और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री 286 दिन बाद सुरक्षित रूप से धरती पर लौट आए। इस मिशन ने न केवल विज्ञान और अंतरिक्ष यात्रा की सीमा को बढ़ाया, बल्कि यह दिखाया कि इंसान की इच्छाशक्ति और संकल्प से बड़ी से बड़ी कठिनाइयों को भी पार किया जा सकता है।
धैर्य की परीक्षा में सफल रहे अंतरिक्षयात्री
सुनीता और उनके साथी अंतरिक्ष में अपने समय के दौरान कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोगों और अनुसंधान कार्यों में शामिल थे। उनके इस साहसिक कदम ने दुनिया भर के लोगों को यह संदेश दिया कि, चाहे कितना भी जोखिम हो, मानवता की सेवा में सफलता हमेशा संभव है। इस तरह, एक और ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा सफलतापूर्वक पूरी हुई, और सुनीता विलियम्स और उनके टीम के सभी सदस्य घर वापस लौट आए। यह उनका साहस और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रतीक बन चुका है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होगा।
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