केंद्र को नए चयन नियम चार महीने में अधिसूचित करने का आदेश, पांच साल का होगा कार्यकाल
New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने उपभोक्ता आयोगों में नियुक्तियों से जुड़ी प्रक्रिया को लेकर बुधवार को एक अहम फैसला सुनाया। न्यायालय ने कहा कि राज्य उपभोक्ता आयोगों और जिला आयोगों के अध्यक्षों व न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति और पुनर्नियुक्ति के लिए किसी लिखित परीक्षा या इंटरव्यू की आवश्यकता नहीं होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह चार महीने के भीतर इन पदों पर नियुक्तियों के लिए नए नियम अधिसूचित करे।
यह फैसला न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने सुनाया। उन्होंने कहा कि नियुक्तियों के नियमों में कार्यकाल की अधिकतम अवधि पांच साल तय की जानी चाहिए, ताकि पारदर्शिता और स्थायित्व बना रहे।
चयन समिति में बहुमत न्यायपालिका का होगा
अदालत ने स्पष्ट किया कि इन पदों पर नियुक्ति के लिए जो चयन समिति गठित की जाएगी, उसमें न्यायपालिका के सदस्यों का बहुमत होना आवश्यक है।
पीठ ने कहा, ‘चयन समिति में तीन सदस्य होंगे— दो सदस्य न्यायपालिका से और एक कार्यपालिका से। न्यायिक सदस्य में से एक समिति का अध्यक्ष होगा। तीनों को मतदान का समान अधिकार प्राप्त होगा’।
पुराने नियमों पर जताई थी आपत्ति
इससे पहले, कई याचिकाओं में उपभोक्ता आयोगों में नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर चिंता जताई गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि लिखित परीक्षा और इंटरव्यू की व्यवस्था न्यायिक स्वतंत्रता को प्रभावित करती है। इस पर विचार करते हुए शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि ऐसे संवैधानिक निकायों में चयन प्रक्रिया न्यायिक संतुलन और विशेषज्ञता को ध्यान में रखकर ही तय होनी चाहिए।
अब माना जा रहा है कि उच्चतम न्यायालय का यह फैसला उपभोक्ता आयोगों की कार्यक्षमता और न्यायिक स्वायत्तता को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अब केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह समयबद्ध ढंग से नए नियम बनाकर पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्ति प्रक्रिया सुनिश्चित करे।