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सुप्रीम कोर्ट ने LG को लिया निशाने पर, पूछा- चुनाव की इतनी जल्दी क्यों?

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिका पर सुनवाई होने तक स्थायी समिति के पद के लिए चुनाव न कराएं। यदि ऐसा होता है, तो फिर कोर्ट इसे गंभीरता से लेगी।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क: दिल्ली में दिल्ली नगर निगम के स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) विनय कुमार सक्सेना (VK Saxena) पर सख्त टिप्पणी की है। पिछले 27 सितंबर को एमसीडी के स्थायी समिति सदस्य का चुनाव कराने का आम आदमी पार्टी ने भी बहिष्कार किया था। जिसके बाद कांग्रेस ने मतदान से पल्ला झाड़ लिया।

स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में भाजपा की हुई थी जीत
दिल्ली नगर निगम स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव भारतीय जनता पार्टी जीत गई थी। इसके बाद दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय ने भी इस पर असहमति जताई थी। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल देते हुए कहा कि यदि इस प्रकार से दखअंदाजी की गई, तो लोकतंत्र का क्या होगा। क्या इसमें भी राजनीति है। जस्टिस पीएम नरसिंहा औऱ जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने एलजी द्वारा नियमों का उल्लंघन किए जाने पर कानूनी आधार पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ऐसे में लोकतंत्र का क्या होगा
कोर्ट का सवाल है कि नॉमिनेशन का मसला भी इसमें शामिल है। मेयर शैली ओबेरॉय अध्यक्षता करने के लिए है, तो फिर आपको (एलजी) यह पावर कहां से मिलती है। सुप्रीम कोर्ट ने LG से कहा कि इस तरह से हस्तक्षेप करने से लोकतंत्र का क्या होगा। क्या इसमें भी राजनीति है। इतनी जल्दी क्या थी।

मेयर शैली ओबेरॉय ने उपराज्यपाल के दफ्तर से जवाब मांगा
गौरतलब है कि MCD स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव के खिलाफ मेयर शैली ओबेरॉय ने दिल्ली उपराज्यपाल के दफ्तर से जवाब मांगा है। इसके बाद उन्होंने छठे सदस्य के चुनाव को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। बता दें कि 27 सितंबर को एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव हुआ था। जिसका आम आदमी पार्टी ने यह कहते हुए बहिष्कार किया था कि यह प्रक्रिया दिल्ली नगर निगम के नियमों के विपरीत है।
मेयर की जगह आईएएस को बनाया गया पीठासीन अधिकारी

मेयर द्वारा दायर की गई याचिका में यह भी कहा गया कि मेयर के बदले एक आईएएस अधिकारी को पीठासीन अधिकारी बनाने का निर्णय लिया गया। इसपर शीर्ष अदालत ने कहा कि शुरुआत में वे इस मुद्दे पर बहस नहीं करना चाहते थे। लेकिन एलजी के फैसले के कारण उन्हें नोटिस जारी करना पड़ा। आगे कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ओबेरॉय की याचिका पर सुनवाई होने तक स्थायी समिति के पद के लिए चुनाव न कराएं। यदि ऐसा होता है, तो फिर कोर्ट इसे गंभीरता से लेगी।

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