जमशेदपुर : बर्मामाइंस स्थित सीएसआईआर-एनएमएल (CSIR-NML) ने अपनी प्लेटिनम जयंती के अवसर पर कोलकाता के फेयरफील्ड बाय मैरियट होटल में “संसाधनों के सतत उपयोग के लिए कोयला एवं खनिज लक्षण वर्णन में नवाचार (ICMCS-2025)” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिकों, उद्योग विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं को एक साझा मंच प्रदान करना था, जहां वे नवाचार और संसाधनों के सतत उपयोग को लेकर अपने विचार और शोध प्रस्तुत कर सकें।
सम्मेलन का उद्घाटन भव्य समारोह के साथ किया गया, जिसमें सीएमपीडीआई, रांची के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मनोज कुमार और सीएसआईआर-एनएमएल के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस दौरान सम्मेलन की स्मारिका का भी विमोचन किया गया।
30 से अधिक संस्थानों के 100 से ज्यादा प्रतिनिधियों की भागीदारी
इस सम्मेलन में देशभर से 100 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जो विभिन्न प्रमुख संस्थानों से आए थे, जिनमें आईआईटी खड़गपुर, बीएचयू वाराणसी, सीएमपीडीआई रांची, एनसीसीसीएम बीएआरसी हैदराबाद, सीएसआईआर-सीएलआरआई चेन्नई, मिजोरम विश्वविद्यालय, आईआईटी बॉम्बे, टाटा स्टील लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड, एनटीपीसी, जीएसआई कोलकाता, सीएसआईआर-आईएमएमटी भुवनेश्वर शामिल हैं।
सम्मेलन के छह तकनीकी सत्रों में कुल 37 तकनीकी शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें कोयला और खनिज अनुसंधान के नवीनतम विषयों पर चर्चा हुई।

CSIR-NML के निदेशक का संबोधन
सीएसआईआर-एनएमएल के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी ने सम्मेलन में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि एनएमएल ने कोयला और खनिज लक्षण-निर्धारण में अभूतपूर्व योगदान दिया है, जिससे उद्योगों के साथ सहयोग को बढ़ावा मिला है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से युवाओं को नए विचारों और क्षमताओं के विकास का अवसर मिलना चाहिए।
सतत संसाधन प्रबंधन में नवाचार की भूमिका
आईसीएमसीएस-2025 की अध्यक्ष डॉ. संचिता चक्रवर्ती ने कोयला और खनिज लक्षण-निर्धारण में अत्याधुनिक तकनीकों के विकास और उद्योगों के साथ अनुसंधान प्रयोगशालाओं के दीर्घकालिक सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि मनोज कुमार ने सीएमपीडीआईएल (CMPDIL) और सीएसआईआर-एनएमएल के बीच दीर्घकालिक साझेदारी पर बात की और बताया कि यह कोयला लक्षण-निर्धारण और प्रमाणित संदर्भ सामग्री के विकास में सहायक रही है।
उद्योग जगत के लीडर्स का योगदान
सम्मेलन में उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने बीज वक्तव्य (Keynote Lectures) प्रस्तुत किए। इनमें सुंदर रामम डीबी, उपाध्यक्ष, रॉ मैटेरियल, टाटा स्टील लिमिटेड तथा जॉय गोपाल घोष, एसोसिएट प्रिंसिपल (भूविज्ञान और अन्वेषण), जियोवेल सर्विसेज शामिल थे। उन्होंने खनिज संसाधनों के सतत उपयोग और नवीन अन्वेषण तकनीकों पर प्रकाश डाला।
आईसीएमसीएस-2025 के संयोजक डॉ. राजेन कुंडू ने सभी प्रतिभागियों, अतिथियों और आयोजन समिति के सदस्यों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन शोधकर्ताओं और उद्योग जगत के नेताओं को एक मंच प्रदान करता है, जिससे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और संसाधन प्रबंधन में महत्वपूर्ण बदलाव लाए जा सकेंगे।
प्रतिभागियों के अनुसार ICMCS-2025 सम्मेलन संसाधनों के सतत उपयोग और नवाचार की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल वैज्ञानिकों और उद्योग विशेषज्ञों के लिए एक मंच बना, बल्कि नए विचारों, तकनीकी नवाचारों और उद्योग-अनुसंधान साझेदारियों को भी प्रोत्साहित करने का कार्य किया। इससे आने वाले वर्षों में खनिज संसाधन प्रबंधन और सतत विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेंगे।