रायगढ़ : नगर निगम की स्वच्छता दीदियों ने अपने परिश्रम से “कचरा से संपत्ति” तक का सफर तय किया है। इसे जान कर आप भी दंग रह जायेंगे। इतने रुपये कमाने में कइयों को तो पूरी उम्र लगानी पड़ती है, तो अनेक जिंदगी भर मेहनत-मशक्कत करके भी इतने रुपये कमाने की कल्पना तक नहीं कर पाते हैं। लेकिन ऐसा कर दिखाया है, पास के ही राज्य स्थित रायगढ़ नगर निगम की स्वच्छता दीदीयों ने। उन्होंने घर-घर कचरा एकत्र करने के बाद उसकी बिक्री कर एक करोड़ 37 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई की है। जानें, कैसे इन महिलाओं ने कचरे से कैसे जीवनभर की कमाई से ज्यादा की आमदनी कर ली है। यह कमाई केवल उनके मासिक वेतन के अलावा है, जिससे इन स्वच्छता दीदियों को अतिरिक्त आय भी मिल रही है।
घर-घर से कचरा एकत्र कर दीदीयों ने कमाई बढ़ाई
स्वच्छता दीदियों द्वारा कचरा कलेक्शन और उसकी बिक्री से होने वाली कमाई से उन्हें हर महीने 2,000 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक का अतिरिक्त लाभ हो रहा है। इन महिलाओं द्वारा एकत्र किए गए सूखे कचरे, जैसे कि प्लास्टिक, शीशे की बोतलें, न्यूज़पेपर आदि को बेचा जाता है। यह कचरा नगर निगम के द्वारा स्थापित एसएलआरएम केंद्रों में छांटा जाता है, जहां से उसे उचित रूप से पुनः उपयोग के लिए प्रोसेस किया जाता है।
स्वच्छता दीदियों को मिलने वाला लाभ
नगर निगम कमिश्नर बृजेश सिंह क्षत्रिय ने बताया कि रायगढ़ नगर निगम के तहत 48 वार्डों में स्वच्छता दीदियों को डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का कार्य सौंपा गया है। इस प्रक्रिया में हर महीने सूखे कचरे की बिक्री से स्वच्छता दीदियों को नियमित तौर पर अतिरिक्त आय हो रही है। एक एसएलआरएम केंद्र में प्रति माह 50,000 से 90,000 रुपये तक का सूखा कचरा बेचा जा रहा है, और इस बिक्री से स्वच्छता दीदियों को उनके योगदान के अनुसार लाभांश प्राप्त होता है।
एक करोड़ 37 लाख रुपये की कमाई
2018 से जब से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन राज्य में लागू हुआ है, तब से अब तक स्वच्छता दीदियों ने कचरा बेचकर 1 करोड़ 37 लाख 77 हजार 828 रुपये की कमाई की है। केवल नवंबर और दिसम्बर 2024 में ही उन्होंने 10 लाख 11 हजार 504 रुपये का कचरा बेचा। यह साबित करता है कि कचरे से भी बड़ी कमाई हो सकती है, जब सही तरीके से उसे प्रोसेस किया जाए।
स्वच्छता दीदियों की मेहनत का फल
यह कमाई केवल स्वच्छता दीदियों के परिश्रम का फल है, जो प्रतिदिन अपनी मेहनत से न केवल शहर की सफाई में योगदान दे रही हैं, बल्कि खुद की आय भी बढ़ा रही हैं। कचरा बेचकर वे अपना जीवन संवारने के साथ ही नगर निगम के लिए भी एक प्रेरणा बन रही हैं।