सेंट्रल डेस्क: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और “ऑपरेशन सिंदूर” के बीच जो एक नाम सुर्खियों में हैं, वह हैं भारत के नए विदेश सचिव विक्रम मिस्री। 15 जुलाई 2024 को उन्हें भारत का 35 वां विदेश सचिव नियुक्त किया गया था। उनकी शैक्षणिक यात्रा और करियर की शुरुआत झारखंड के जमशेदपुर से भी जुड़ी है।
श्रीनगर से जमशेदपुर तक का सफर
विक्रम मिस्री का जन्म 1964 में कश्मीर के श्रीनगर में हुआ था। उनकी स्कूली पढ़ाई श्रीनगर के अलावा उधमपुर और ग्वालियर में भी हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद विक्रम मिस्री उच्च शिक्षा के लिए झारखंड के जमशेदपुर आए। उन्होंने जमशेदपुर के XLRI से 1987 में एमबीए (MBA) किया।
विज्ञापन एजेंसी से शुरू कर भारतीय विदेश सेवा तक पहुंचे
XLRI से एमबीए करने के बाद विक्रम मिस्री ने करीब तीन वर्षों तक विज्ञापन एजेंसियों में काम किया। लेकिन 1989 में उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली। इसके बाद उन्होंने भारतीय विदेश सेवा (IFS) में प्रवेश किया।
विदेश नीति के अनुभवी विशेषज्ञ
अपने 35 साल लंबे कूटनीतिक करियर में विक्रम मिस्री ने बेल्जियम, अमेरिका, पाकिस्तान, ट्यूनीशिया और चीन जैसे देशों में भारतीय मिशन पर कार्य किया। वह भारत के तीन प्रधानमंत्रियों आईके गुजराल, डॉ. मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के निजी सचिव भी रह चुके हैं।
2019 से 2021 तक वह चीन में भारत के राजदूत रहे और गलवान घाटी विवाद के दौरान चीन से बातचीत करने वालों में अग्रणी भूमिका निभाई।
विदेश सचिव के तौर पर भूमिका और सुविधाएं
भारत के विदेश सचिव के रूप में विक्रम मिस्री की जिम्मेदारी भारत की विदेश नीति को लागू करना, अन्य देशों से संबंधों का संचालन करना, और कूटनीतिक फैसलों में मार्गदर्शन देना है। यह विदेश मंत्रालय का सर्वोच्च पद होता है। इस पद पर तैनात अधिकारी को हर महीने करीब 2 लाख रुपए से अधिक वेतन, साथ ही सरकारी आवास, वाहन, सुरक्षा, स्टाफ और डिप्लोमेटिक पासपोर्ट जैसी सुविधाएं मिलती हैं।
IFS अधिकारी से विदेश सचिव बनने की प्रक्रिया
विदेश सचिव बनने के लिए सबसे पहले UPSC सिविल सेवा परीक्षा के जरिए IFS में चयन जरूरी होता है। इसके बाद वर्षों तक विदेशों में सेवा, अनुभव, और उत्कृष्ट कूटनीतिक समझ के आधार पर अधिकारी को पदोन्नति दी जाती है। विदेश सचिव की नियुक्ति भारत सरकार की कैबिनेट नियुक्ति समिति (ACC) करती है, जिसमें प्रधानमंत्री और गृह मंत्री शामिल होते हैं।