जमशेदपुर : केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की आठ सदस्यीय टीम पूर्वी सिंहभूम जिले में बीते चार दिनों से है। शुक्रवार को अंतिम दिन था। इस दौरान टीम ने जिले के उपायुक्त अनन्य मित्तल और उसके बाद सिविल सर्जन कार्यालय के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। सबसे पहले टीम के सदस्यों ने उपायुक्त के समक्ष पूरे जिले की रिपोर्ट रखी और कहां-कहां सुधार की गुंजाइश है, उन सभी बिंदुओं पर चर्चा हुई।
इसके बाद सिविल सर्जन कार्यालय में एक बैठक हुई। यहां सिविल सर्जन सहित सभी चिकित्सा पदाधिकारी मौजूद थे। टीम ने कहा कि हर पांच साल पर बेहतर कार्य करने वाले जिलों की जांच की जाती है। इससे पूर्व भी इस जिले का चयन हो चुका है। अब फिर से जांच की जा रही है, कहां क्या कमी है, पहले और अब में क्या सुधार हुआ है, नहीं होने का कारण सहित सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट ली गई है। इसमें कुछ स्थानीय और कुछ राज्य व केंद्र स्तर से सुधार की आवश्यकता है, जिसकी रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
शनिवार को रांची में भी एक बैठक रखी गई है, जिसमें कई आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। वहीं, टीम के सदस्यों ने कहा कि जिले में मैनपावर की भारी कमी है। इसमें चिकित्सक से लेकर नर्स, फार्मासिस्ट सहित अन्य कर्मचारी शामिल हैं। वहीं, एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है, जिस पर तत्काल काम करने की जरूरत है। टीम ने सुझाव दिया है कि जब तक कोई विशेषज्ञ चिकित्सक की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक कुछ वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, ताकि मरीजों को बेहतर चिकित्सा मिल सके।
वहीं, एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबार्न केयर यूनिट) में नर्सों की संख्या बढ़ाने को कहा गया, जबकि कोल्डचेन सेंटर (टीकाकरण भंडारण) पर फार्मासिस्टों की नियुक्ति करने को कहा गया है, ताकि उसकासंचालन बेहतर ढंग हो सके। टीम ने यह भी कहा कि गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच और शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव कराने पर विशेष रूप से काम करने की जरूरत है। इस सदी में भी अगर घरों में प्रसव हो रहा है, तो वह चिंता का विषय है। इस दौरान जच्चा-बच्चा दोनों को कई रूप से खतरा रहता है।
इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के निदेशक डॉ. इंद्रनील दास, मलय कुमार हलदर, डॉ. पीजे श्रीनिवास, डॉ. सुधीरा, डॉ. सिंधु, डॉ. प्रियंका, मृत्युंजय चंद्रा, डॉ. उर्वशी, सिविल सर्जन डॉ. साहिर पॉल सहित अन्य उपस्थित थे।
एनसीडी प्रोजेक्ट पर सख्ती से काम करने का निर्देश
पहले के समय में मोटापा, मधुमेह, हार्ट, ब्लड प्रेशर, कैंसर सहित अन्य बीमारियां अमीरों की बीमारी कही जाती थीं। इस तरह के मरीजों की संख्या शहरी क्षेत्रों में अधिक होती थी, लेकिन अब वैसी बात नहीं रही। बदलती जीवनशैली, खानपान सहित अन्य कारणों से ग्रामीण क्षेत्रों में भी गैर-संचारी रोग तेजी से बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय है। इस तरह के मरीजों की रोकथाम, उनकी पहचान और समय पर इलाज उपलब्ध कराने के मकसद से एनसीडी कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। ऐसे में इसपर सख्ती से काम करने की जरूरत है।
गर्भवती की देखरेख में नहीं हो लापरवाही
टीम ने कहा कि गर्भवती महिलाओं की देखरेख पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उनकी नियमित निगरानी हो। जिनका हीमोग्लोबिन कम हो, उसे आयरन, कैल्शियमसहित अन्य दवाइयां उपलब्ध कराई जाए। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि पोटका में आयरन की दवा नहीं है, जो चिंता का विषय है। इस तरह की स्थिति नहीं होनी चाहिए।