रांची : झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने प्रशासनिक लापरवाही, मनरेगा योजना में अनियमितताएँ और अनधिकृत अनुपस्थिति के कारण तीन प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की योजना बनाई है। कार्मिक, प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग द्वारा जारी किए गए एक पत्र के अनुसार, इन अधिकारियों के खिलाफ जांच की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसके तहत तीन सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों को इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इन अधिकारियों पर है आरोप
मेरी मड़की (अड़की प्रखंड, खूंटी)
खूंटी जिला के अड़की प्रखंड की प्रखंड विकास पदाधिकारी, मेरी मड़की पर मनरेगा योजना के तहत मिट्टी मोरम पथ निर्माण योजना में अनियमितताओं का आरोप है। आरोप है कि उन्होंने बिना काम किए ही राशि का भुगतान किया और फर्जी मास्टर रोल तैयार किया। इसके अलावा, अभिलेखों को सही तरीके से नहीं रखा और योजनाओं का उचित पर्यवेक्षण भी नहीं किया। 2016 में ग्रामीण विकास विभाग ने इनके खिलाफ चार्जशीट तैयार कर कार्रवाई की अनुशंसा की थी। इस मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी गणेश कुमार को नियुक्त किया गया है।
जय कुमार राम (साहिबगंज)
साहिबगंज के पूर्व कार्यपालक अधिकारी और जिला नजारत उप समाहर्ता के पद पर रहे जय कुमार राम पर कोरोना महामारी के दौरान दवा आपूर्ति एजेंसियों को आदेश देने और वित्तीय अनियमितता करने का आरोप है। 2023 में साहिबगंज के तात्कालीन डीसी ने उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। इस मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी कमल जॉन लकड़ा को नियुक्त किया गया है। जय कुमार राम को 15 दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है।
अनिल कुमार सिंह (कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग)
अनिल कुमार सिंह, जो कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग में अवर सचिव के पद पर कार्यरत थे, पर बिना सूचित किए दफ्तर से गायब रहने का आरोप है। विभाग ने 26 जुलाई 2024 को इनके खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। इस मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी गणेश कुमार को नियुक्त किया गया है। अनिल कुमार को जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है।
विभागीय कार्रवाई की दिशा
इन तीनों अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के तहत जांच प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उनकी जवाबदेही तय करने के लिए अलग-अलग सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है। इन मामलों में अंतिम निर्णय आने से पहले संबंधित अधिकारियों को स्थिति स्पष्ट करने का मौका दिया गया है।