नई दिल्ली : गंगा नदी में ऐसे तीन खास तत्व पाए गए हैं, जो अपने आप ही जल को स्वच्छ कर देते हैं। राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) द्वारा किए गए, एक शोध में यह तथ्य सामने आए हैं। गंगा नदी पर 12 वर्षो तक शोध करने के बाद वैज्ञानिकों को इसके प्रमाण मिले। इसके लिए गंगा नदी को तीन भागों में बांटकर शोधकार्य किया गया था।
शोध के लिए नदी को बांटा गया था तीन भागों में
राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) ने गंगा नदी पर एक शोधकार्य किया था, जिसमें 12 वर्षों के गहन शोध- अध्ययन के बाद, वैज्ञानिकों को इस बात के प्रमाण मिले कि गंगा नदी की तलहटी में ऐसे तीन पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो गंगा नदी को बैक्टीरिया से मुक्त रखते हैं। गंगा का जल स्वयं ही स्वच्छ और निर्मल हो जाता है। इस शोध कार्य के लिए नदी को तीन भागों में विभाजित किया गया था।
ये हैं गंगा में पाए गए तीन खास तत्व
वह तीन तत्व जो गंगा नदी में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, वह यमुना और नर्मदा नदी में बहुत कम मात्रा में पाए गए। इस शोध में गंगा, यमुना और नर्मदा नदियों का तुलनात्मक अध्ययन भी शामिल था। गंगा नदी में जो तीन तत्व पाए गए हैं उनमें ऑक्सीजन, फाइटो केमिकल टरपीन और बैक्टीरियोफाज तत्व शामिल है। फाइटो केमिकल टरपीन वनस्पतियों से उत्पन्न होने वाला तत्व है। वहीं गंगा में पाया जाने वाला तीसरा तत्व बैक्टीरियोफाज दूषित बैक्टीरिया को नष्ट करने का काम करता है। इन तीनों तत्वों के प्रभाव से यदि गंगा नदी मानव जनित कृत्यों अथवा अन्य कारकों से प्रदूषित भी होती है, तो भी आगे चलकर वह खुद ही स्वच्छ हो जाती है।
इन तीन भागों में बांटा गया था नदी को
गंगा नदी का अपने- आप साफ करने वाले तीन तत्वों और उसके पीछे के विज्ञान में नदी का निरंतर प्रवाहमान होना, बताया गया है। गंगा नदी अविरल रूप से बहती है। आगे चलकर स्वतः ही वह स्वच्छ हो जाती है। गंगा नदी को जिन-तीन भागों में बांटकर शोध कार्य किया गया था, उसमें पहला भाग गंगा के उदगम स्थल गोमुख से हरिद्वार, दूसरा भाग हरिद्वार से पटना और तीसरा भाग पटना से बंगाल के नदिया जिले के जाफर नगर तक था।