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UN की रिपोर्ट: भारत में हमले करने में असमर्थ रहा IS, देश में मौजूद समर्थकों ने की मदद

by Mujtaba Haider Rizvi
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सेंट्रल डेस्क : संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट (आईएसआईएल) को भारत में बड़े पैमाने पर आतंकवादी हमले करने में असमर्थता का सामना करना पड़ा। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आईएसआईएल के हैंडलर एकल हमलावरों के माध्यम से छोटे स्तर पर हमले भड़काने की कोशिश करते रहे, जिसमें भारत में मौजूद आईएसआईएल के समर्थकों ने मदद की।

आईएसआईएल की गतिविधियां और छोटे हमलों का प्रयास


रिपोर्ट के अनुसार, आईएसआईएल (दाएश) की गतिविधियाँ भारत में बड़े हमले करने के लिए पर्याप्त रूप से सफल नहीं हो सकीं। इसके बावजूद, संगठन ने अपने हैंडलरों के जरिए एकल हमलावरों के रूप में छोटे हमलों को अंजाम देने की कोशिश की। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में आईएसआईएल के समर्थक अल-जौहर मीडिया के जरिए भारत विरोधी प्रचार चला रहे हैं, जिसका उद्देश्य आतंकी विचारधारा को बढ़ावा देना और हिंसा को भड़काना था। इस प्रकार, संगठन ने अपनी रणनीति को ज्यादा केंद्रित न कर उसे छोटे हमलों में परिवर्तित कर दिया था।

सीरिया में कायम कर ली है हुकूमत


आइएसआइएस और अलकायदा के आतंकियों ने सीरिया में अपनी हुकूमत कायम करने सफलता हासिल कर ली है। इसके पीछे उसे तुर्की, यूएई और जार्डन का सपोर्ट रहा है। सीरिया में आइएसआइएस की सरकार को अल जोलानी लीड कर रहा है जिसे यूएन ने आतंकी घोषित कर रखा था और जिस पर खुद अमरीका ने भी पुरस्कान घोषित कर दिया है। कई पुराने पुरस्कार घोषित आतंकी सीरिया में मंत्रालय में शामिल हो गए हैं। इन दिनों सीरिया अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है और वहां के अल्पसंख्यक समूहों ईसाई, अलवी, ड्रज और शिया समुदाय अत्याचार का सामना कर रहे हैं। यह हुकूमत दुनिया भर के अमन के लिए खतरा बनी हुई है।

आईएसआईएल की कम केंद्रीकृत संरचना का खतरा


संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आईएसआईएल और उसके सहयोगी समूह कम केंद्रीकृत संगठनात्मक संरचनाओं के चलते अपने अस्तित्व को बनाए हुए हैं। इस कारण से, इन समूहों से उत्पन्न होने वाला खतरा अभी भी बरकरार है, और उनकी लचीली और अनुकूलनशील रणनीतियाँ आतंकवादी गतिविधियों को लगातार बढ़ावा दे रही हैं। हालांकि, आईएसआईएल के शीर्ष नेतृत्व को कई बार नुकसान हुआ, लेकिन फिर भी वह खुद को बदलने और नई परिस्थितियों के अनुरूप ढालने में सक्षम है।

अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठनों की बढ़ती उपस्थिति


रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अफगानिस्तान में कई आतंकवादी समूह सक्रिय हैं, जिनमें दो दर्जन से ज्यादा संगठन शामिल हैं। इन समूहों के अस्तित्व को संयुक्त राष्ट्र और इसके सदस्य देशों ने एक गंभीर खतरे के रूप में पहचाना है। अफगानिस्तान में इन समूहों की मौजूदगी न केवल अफगानिस्तान के लिए, बल्कि आसपास के देशों की स्थिरता के लिए भी बड़ा खतरा बनी हुई है। विशेष रूप से, इस्लामिक स्टेट-खुरासान (ISIS-K) ने अफगानिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास किया है, जिससे पूरे क्षेत्र की सुरक्षा पर असर पड़ा है।

तालिबान और अल-कायदा का गठजोड़


रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अफगानिस्तान में तालिबान ने अल-कायदा के साथ अपने संबंधों को और मजबूत किया है। तालिबान ने अफगानिस्तान में अल-कायदा के लिए सुरक्षित घर और प्रशिक्षण शिविरों का वातावरण बनाया है। इसके अलावा, तालिबान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे आतंकवादी समूहों को रसद और वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिससे इन समूहों की सक्रियता बढ़ी है। ये आतंकी समूह अब भारतीय उपमहाद्वीप में अपने हमलों को बढ़ा रहे हैं।

टीटीपी और अल-कायदा का बढ़ता सहयोग


संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), अफगान तालिबान और अल-कायदा के बीच सहयोग बढ़ता जा रहा है। ये आतंकी संगठन मिलकर पाकिस्तान और भारत में हमले करने के लिए नए तरीके अपनाते हैं। रिपोर्ट में यह चिंता जताई गई है कि टीटीपी और अन्य आतंकी समूह आत्मघाती हमलावरों, लड़ाकों और संसाधनों की उपलब्धता के कारण क्षेत्रीय खतरा बन सकते हैं और इससे पूरे क्षेत्र की सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ सकता है।

संयुक्त राष्ट्र का आह्वान


संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अपनी रिपोर्ट में अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि इस्लामिक स्टेट-खुरासान और अन्य आतंकी समूह क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे बने हुए हैं। उन्होंने सदस्य देशों से अपील की है कि वे अफगानिस्तान को एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का केंद्र बनने से रोकने के लिए एकजुट हों और सहयोग करें।

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