लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सामूहिक विवाह योजना की पारदर्शिता और निगरानी को मजबूत करने के लिए नए नियमों को लागू करने का निर्णय लिया है। अब इस योजना के अंतर्गत वर और वधू दोनों की बायोमेट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य कर दी गई है। इसके माध्यम से योजना में होने वाले किसी भी फर्जीवाड़े को रोका जा सकेगा।
अधिकारियों की जवाबदेही होगी तय
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि कन्या के आधार सत्यापन में लापरवाही पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी। इसके साथ ही सामूहिक विवाह कार्यक्रम के आयोजन स्थल पर वर-वधू की बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज की जाएगी।
उपहार, जलपान और भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी, जिसके लिए तय मानकों का पालन आवश्यक होगा। सरकार इस योजना में पात्र लाभार्थियों को पूरी पारदर्शिता से सुविधा देना चाहती है। समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने जानकारी दी कि अब योजना के अंतर्गत दी जाने वाली सामग्री की आपूर्ति के लिए फर्मों का चयन निदेशालय स्तर पर होगा ताकि जिला स्तर पर किसी भी प्रकार की अनियमितता रोकी जा सके।
यदि किसी आयोजन में 100 से अधिक जोड़ों का विवाह हो रहा है, तो उस आयोजन में संबंधित जिलाधिकारी की मौजूदगी अनिवार्य होगी। इसके अलावा, मंडलीय उपनिदेशकों और जिला समाज कल्याण अधिकारियों की उपस्थिति भी जरूरी होगी। एक जिले के अधिकारी को दूसरे जिले में ऑब्जर्वर के रूप में भेजा जाएगा ताकि निरीक्षण निष्पक्ष तरीके से हो सके।
वर्ष 2025 में एक लाख जोड़ों के विवाह कराने का लक्ष्य
समाज कल्याण विभाग के उप निदेशक आरपी सिंह ने बताया कि वर्ष 2025 में करीब एक लाख जोड़ों का विवाह करवाने का लक्ष्य रखा गया है। इन बदलावों के जरिए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि हर पात्र जोड़ा योजना का लाभ पारदर्शी और सुरक्षित तरीके से उठा सके।