प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस साल महाकुंभ मेला 40 करोड़ श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा और इस आयोजन से 2 लाख करोड़ रुपये तक रेवेन्यू जनरेट होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि 2019 के महाकुंभ में राज्य की अर्थव्यवस्था में 1.2 लाख करोड़ रुपये का योगदान हुआ था, और इस बार उससे भी बड़ी वृद्धि की उम्मीद है।
महाकुंभ का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व
सीएम योगी ने महाकुंभ को एक वैश्विक आध्यात्मिक आयोजन बताते हुए कहा कि यह सिर्फ धार्मिक समागम नहीं बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है। उन्होंने इसे दुनिया का सबसे बड़ा अस्थायी शहर करार दिया, जिसमें किसी भी समय 50 लाख से 1 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। उनका मानना है कि महाकुंभ केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर को ही नहीं बल्कि आधुनिक डिजिटल पहलुओं को भी प्रस्तुत करता है।

महाकुंभ से जुड़े आर्थिक पहलुओं की अहमियत
सीएम योगी ने कहा कि महाकुंभ मेला आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान करेगा, जिससे न केवल राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि पर्यटन, होटल, परिवहन और लोकल व्यापार भी इससे लाभान्वित होंगे। उनका कहना था कि 2024 में भी वाराणसी और अयोध्या जैसे तीर्थस्थलों ने रिकॉर्ड श्रद्धालु संख्या का स्वागत किया, जो यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन बढ़ रहा है।
महाकुंभ के लिए जोरों पर तैयारियां
महाकुंभ से पहले प्रशासनिक तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। संगम के आसपास 12 किलोमीटर क्षेत्र में नए स्नान घाट बनाए जा रहे हैं और सुरक्षा के इंतजाम भी कड़े किए जा रहे हैं। साथ ही, घाटों पर विशेष चेंजिंग रूम और सुरक्षा वॉच टावर लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा, जल मार्गों की सुरक्षा के लिए पानी की बैरिकेडिंग भी की जा रही है ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
महाकुंभ का आधिकारिक उद्घाटन
महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से होगी और यह आयोजन 26 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान, लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करेंगे और धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेंगे। इस आयोजन के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व के साथ-साथ आर्थिक प्रभाव भी राज्य के विकास में योगदान देगा।
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