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UPSC Topper Talk : खुद की क्षमता पर करें अटल विश्वास रखें, सफलता जरूर मिलेगी : सौरभ कुमार सिन्हा

UPSC की परीक्षा में लगातार तीन बार सफलता से दूर रहे सौरभ ने चौथी बार में हासिल किया 49 वां रैंक

by Anand Mishra
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Dumka (Jharkhand) : झारखंड की उपराजधानी दुमका के शिव-गोपाल मंदिर राखाबनी निवासी सौरभ कुमार सिन्हा ने इस बार यूपीएससी (UPSC) परीक्षा में 49 वां रैंक हासिल किया है। सौरभ ने यह सफलता चौथे प्रयास में हासिल की है। इससे पूर्व सौरभ आईआईटी खड़गपुर से गणित और कंप्यूटिंग इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरा कर तकरीबन ढ़ाई वर्षों तक एक नामचीन कोचिंग संस्थान में बतौर फैकल्टी छात्रों को इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाने के साथ ही खुद यूपीएससी (UPSC) की तैयारी कर रहे थे।

सौरभ पहली बार वर्ष 2020 में यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुए थे। उसके बाद वर्ष 2021 और 2022 की परीक्षा में शामिल हुए। तब भी सफलता नहीं मिली। उसके बाद भी सौरभ ने हार नहीं मानी और अंतत: वर्ष 2024 की यूपीएससी की परीक्षा में 49 वां रैंक हासिल कर अपना लक्ष्य साधने में सफल हुए। सौरभ कहते हैं “सफलता के लिए खुद की क्षमता पर अटल विश्वास होना सबसे अहम है।” सौरभ ने अपनी स्कूली शिक्षा दुमका से ही पूरी की है। उसके बाद आईआईटी खड़गपुर से बीटेक की डिग्री हासिल की। एक साक्षात्कार के दौरान सौरभ ने आपने छात्र जीवन से लेकर यूपीएससी क्रैक करने तक के अनुभव साझा किए। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश :-

  • सवाल : सर्वप्रथम, आपको इतनी बड़ी सफलता के लिए बधाई। आप अपनी शिक्षा के बारे में बताएं?
  • जवाब : बधाई के लिए धन्यवाद।मैंने अपनी प्राथमिक शिक्षा कक्षा नर्सरी से 10वीं तक की पढ़ाई ग्रीन माउंट एकेडमी दुमका से पूरी की है। तब मुझे यह कभी महसूस ही नहीं हुआ कि दुमका से बाहर जाकर भी मुझे पढ़ाई करने की जरूरत है। बस इस पर ही ध्यान केंद्रित रखा कि जो पढ़ रहे हैं उसी पर पूरा ध्यान केंद्रित करना है। सीधे तौर पर कहें तो 10 वीं कक्षा तक हम दुमका से कभी बाहर निकले ही नहीं। इसके बाद इंटर की पढ़ाई मैथ से पूरी करने के बाद आईआईटी की तैयारी में जुट गया। वर्ष 2014 में सफलता मिली और गणित व कम्प्यूटिंग इंजीनियरिंग में वर्ष 2019 में बीटेक की डिग्री हासिल की। उसके बाद यूपीएससी की तैयारी में जुट गया।
  • सवाल : आपके परिवार में कौन-कौन हैं और अपनी सफलता का श्रेय किसको देते हैं?
  • जवाब : घर में माता-पिता हैं। साथ में छोटा भाई ऋषभ कुमार सिन्हा हैं, जो अभी स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। पिता प्रियव्रत सिन्हा दुमका कोर्ट में कर्मचारी और मां विभा सिन्हा गृहणी हैं। मेरी सफलता के पीछे माता-पिता एवं मेरे स्कूल के निदेशक करुण कुमार राय की अहम भूमिका रही है। इन लोगों ने सदैव ही मुझे सफलता के लिए प्रेरित किया। मुझे कभी हतोत्साहित होने नहीं दिया।
  • सवाल : आईआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद मन में यूपीएससी करने का विचार कैसे और क्यों आया?
  • जवाब : सबसे अहम तो यह है कि आपका लक्ष्य स्पष्ट होना और चुनौतियां बड़ी होनी चाहिए। मेरा मानना है कि सपना वह नहीं जो नींद में देखी जाए बल्कि सपना वह जो आपको सोने नहीं दे। मेरा लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट था। मैंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी करने क बजाए यूपीएससी की तैयारियां शुरु कर दी थी। साथ ही फिट जी समेत कई अन्य संस्थानों से जुड़कर इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे छात्रों को बतौर फैकल्टी पढ़ाते थे। नारायणा लखनऊ में भी बतौर फैकल्टी छात्रों को पढ़ाया। इसका फायदा यह हुआ कि छात्रों की ऊर्जा से हम भी ऊर्जान्वित होते रहे।
  • सवाल : आप लगातार तीन बार यूपीएससी की परीक्षा में सफल नहीं हो पाए, फिर भी आपने उम्मीद नहीं छोड़ी। इसकी सबसे बड़ी कौन सी वजह थी?
  • जवाब : मैं अपने सबसे रुचिकर विषय गणित को चुनकर यूपीएससी की परीक्षा की तैयार में जुटा था। तीन बार सफल नहीं होने से मन में निराशा होती थी, लेकिन यही निराशा मुझे आगे बढ़ने की शक्ति दे रही थी। मैंने अपने ऊपर कभी नकारात्मकता को हावी नहीं होने दिया। सही दिशा में सतत प्रयास करता रहा और इसका नतीजा आज सबके सामने है।
  • सवाल : यूपीएससी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे छात्रों को आप क्या कहेंगे?
  • जवाब : सफलता के लिए खुद की क्षमता पर अटल विश्वास सबसे जरूरी है। अनुशासित तरीके से समय प्रबंधन और सही दिशा में सतत प्रयास से सफलता मिलना तय है। प्रतिदिन छह से सात घंटा पूरी लगन व रुचि से अध्ययन करें। सेल्फ डाउट से बाहर निकल कर छात्र अपना शत-प्रतशित दे।
  • सवाल : समय के साथ पढ़ने का तौर-तरीका भी बदला है। तकनीक व सोशल मीडिया का प्रभाव छात्रों को कितना प्रभावित कर रहा है?
  • जवाब : सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि छात्रों को सोशल मीडिया से ज्यादा से ज्यादा दूर रहना चाहिए। एआई तकनीक, चैट जीपीटी जैसे एडवांस तकनीक का भरपूर लाभ सकारात्मक लक्ष्य को साधने के लिए छात्र उठाएं। इस तकनीक से ग्रामीण इलाके के छात्र भी खुद को जोड़ना सीखें ताकि इसका लाभ इन्हें मिल सके।
  • सवाल : आपसे अंतिम सवाल है कि वर्तमान दौर में छात्र मानसिक, शारीरिक व आर्थिक स्तर पर काफी दबाव महसूस करते हैं, इससे उबरने के लिए इन्हें क्या करना चाहिए?
  • जवाब : बड़े और चुनाैतीपूर्ण लक्ष्य को साधने के लिए यह जरूरी है कि छात्र खुद को परफेक्ट बनाना सीखें। इसके लिए पढ़ाई के साथ योग, अध्यात्म, दर्शनशास्त्र धर्म, संस्कृति व नैतिकता जैसी मूल्यों को आत्मसात करें। कर्म से बढ़कर कुछ भी नहीं है। मेरी सफलता में “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।मा कर्मफलहेतु र्भूर्मा…का सबसे खास रोल है।

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