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वाराणसी: गैस कटर से काटा गया 100 साल से बंद शिव मंदिर का ताला, अंदर मिले खंडित शिवलिंग

by Rakesh Pandey
सिद्धेश्वर महादेव मंदिर
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वाराणसी: वाराणसी के मदनपुरा इलाके में स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, जो लगभग 100 वर्षों से बंद था, को आखिरकार खोल दिया गया। इस मंदिर का ताला गैस कटर की मदद से काटा गया, क्योंकि ताले की चाबी उपलब्ध नहीं थी। मंदिर को खोलने का निर्णय पुलिस और प्रशासन की तरफ से लिया गया, जब सनातन रक्षक दल द्वारा इस मुद्दे को उठाने के बाद 8 जनवरी को कार्रवाई की गई।

मंदिर की दीवारों के पीछे क्या मिला?

मंदिर को खोलने पर अंदर का दृश्य काफी विकृत था। लंबे समय से बंद होने के कारण मंदिर के अंदर मलबा और मिट्टी भर चुकी थी। जब ताला खोला गया, तो अंदर तीन खंडित शिवलिंग मिले। इन खंडित शिवलिंगों को जल्द ही पुनर्स्थापित किया जाएगा, लेकिन क्योंकि यह समय खरमास का है, इसलिए इनकी प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया खरमास के बाद शुरू की जाएगी। मंदिर की सफाई और पुनर्निर्माण कार्य जारी है, ताकि जल्द ही पूजा-पाठ का कार्य पुनः शुरू किया जा सके।

डीसीपी काशी ने दी जानकारी

वाराणसी के डीसीपी काशी, गौरव बंसवाल ने बताया कि 100 साल बाद इस मंदिर को खोला गया है। यह मंदिर दशाश्वमेध क्षेत्र के मदनपुरा इलाके में स्थित है, और इसकी स्थिति बहुत खराब थी। अंदर जमी हुई मिट्टी और मलबे को हटाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ताले को गैस कटर से काटा गया और मलबे की सफाई में काफी सावधानी बरती जा रही है ताकि अंदर कोई अन्य धार्मिक सामग्री क्षतिग्रस्त न हो जाए।

डीसीपी ने यह भी बताया कि मंदिर की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे। पुलिस और पीएसी के जवान मंदिर के आसपास मुस्तैद थे और ड्रोन और रुफ टॉप ड्यूटी के जरिए निगरानी की जा रही थी। इस दौरान, प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि चूंकि यह मंदिर सार्वजनिक है, इसलिए कोई भी व्यक्ति यहां पूजा कर सकता है।

मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए नगर निगम का सहयोग

अलोक वर्मा, एडीएम सिटी ने भी मंदिर की सफाई के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मंदिर के अंदर करीब दो फीट मिट्टी की परत जमा हो गई थी, जिसे नगर निगम के सहयोग से साफ किया जा रहा है। इस कार्य में स्थानीय लोगों का भी सहयोग प्राप्त हो रहा है। एडीएम ने यह भी बताया कि अब तक किसी ने मंदिर खोले जाने का विरोध नहीं किया है और सभी लोग सहयोग कर रहे हैं।

सिद्धेश्वर महादेव मंदिर की ऐतिहासिक अहमियत

यह मंदिर मुस्लिम बहुल इलाके में स्थित था, और इसके बंद होने की वजह से कई धार्मिक और सांस्कृतिक चर्चाएं भी होती रही हैं। सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष, अजय शर्मा ने इस मंदिर को खोलने का श्रेय काशीवासियों के संघर्ष को दिया। उन्होंने कहा कि यह मंदिर काशीवासियों के कई वर्षों के प्रयासों का परिणाम है। हालांकि, चूंकि इस समय खरमास चल रहा है, इसलिए शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा को बाद में किया जाएगा।

मंदिर में जल्द ही पूजा-पाठ का आरंभ

साफ-सफाई का कार्य तेजी से चल रहा है और इसके बाद जल्द ही पूजा-पाठ शुरू करने का निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल, प्रशासन ने मंदिर खोलने का निर्णय लिया है और लोगों को शिखर दर्शन की सुविधा प्रदान की है। इसके साथ ही, खंडित शिवलिंग की पुनर्स्थापना के लिए प्रक्रिया भी जल्द शुरू की जाएगी।

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