रांची : राज्य में मानसून की लुकाछिपी जारी है। यह सिलसिला जुलाई के प्रथम सप्ताह तक जारी रहेगा और वर्षापात के साथ साथ तापमान में भी उतार चढ़ाव का दौर जारी रहेगा। राजधानी रांची के मौसम की बात करें तो अगले चार दिनों तक आसमान में बादल छाए रहेंगे और वर्षा होने की संभावना है। पूरे राज्य के मौसम की बात करें तो मौसम विज्ञान केंद्र रांची से प्राप्त आंकड़े के अनुसार 1 जून से 2 जुलाई तक झारखंड में अब तक कुल 119 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई है जबकि सामान्य रुप से अब तक वर्षापात 206.5 मिमी की जरुरत है यानी सामान्य से 87 मिमी वर्षा कम हुई है। पिछले वर्ष 2022 में इस तिथि तक सामान्य से 47 प्रतिशत यानी सिर्फ 99 मिमी वर्षा हुई थी। इस वर्ष का आंकड़ा भले संतोषप्रद न हो लेकिन पिछले वर्ष के मुकाबले 20 मिमी अधिक वर्षा रिकार्ड की गई है। मौसम विज्ञानी अभिषेक आनंद की माने तो पिछले वर्ष की तरह विकराल स्थिति नहीं बनेगी। बंगाल की खाड़ी से उठे सर्कुलेशन का असर दिखेगा, क्लाउड बैंड तैयार हो रहा है और जुलाई अगस्त में स्थिति सामान्य वर्षापात तक पहुंचने की संभावना बन रही है। यदि अगस्त माह के अंत तक 19 प्रतिशत भी कम वर्षा हुई तो, इसके बाद भी वर्षा का स्तर सामान्य बना रहेगा। पिछले 24 घंटे के मौसम की बात करें तो राज्य में कुछेक स्थानों पर गर्जन के साथ हल्की व मध्यम दर्जे की वर्षा हुई है। जबकि कहीं कहीं भारी वर्षा हुई है। पूरे राज्य में अब तक मानसून की गतिविधि सामान्य बताई जा रही है। सबसे अधिक वर्षापात साहेबगंज के राजमहल में 198 मिमी रिकार्ड की गई है। वहीं दूसरी ओर सबसे अधिक अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस चाईबासा का तो सबसे कम न्यूनतम तापमान 24 डिग्री रांची का रिकार्ड किया गया है। वहीं राजधानी में 8 जुलाई तक आसमान में आंशिक बादल छाए रहेंगे और हल्की व मध्यम दर्जे की वर्षा होने की संभावना है।
जून माह में सामान्य से कम हुई वर्षा :
राजधानी में 2 जुलाई तक 111.3 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई है जबकि मौसम विज्ञान केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार सामान्य वर्षापात 213.8 मिमी होना चाहिए। जारी रिपोर्ट की माने तो पूरे राज्य में हुई तेज वर्षा के बावजूद अब तक सामान्य से कम वर्षा हुई है। यद्यपि अगले तीन दिनों तक तेज वर्षा की संभावना है। पूरे राज्य में मानसून पूरी तरह से सक्रिय हो गया है और अगले तीन दिनों तक इसका पूरा असर देखने को मिलेगा। राज्य उत्तर पूर्वी यानी देवघर, दुमका, धनबाद, जामताड़ा, गोड्डा, पाकुड़, साहेबगंज व गिरिडीह में भारी वर्षा को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है। जबकि पलामू, गढ़वा, चतरा, कोडरमा, लातेहार और लोहरदगा में मेघ गर्जन और वज्रपात को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है।
1 जून से 2 जुलाई तक जिलों में हुई इतनी वर्षा :
रांची में 111.3 मिमी, बोकारो 74.7 मिमी, चतरा 38.3 मिमी, देवघर 117.9, धनबाद 62.5 मिमी, दुमका 179.4, पूर्वी सिंहभूम 116.5, गढ़वा 122.7, गिरिडीह 80.3, गोड्डा 105.3, गुमला 119.4, हजारीबाग 114.3, जामताड़ा 66.5, खूंटी 152.7, कोडरमा 80.1, लातेहार 74.6, लोहरदगा 144.6, पाकुड़ 128.9, पलामू 123.2, रामगढ़ 82.6, साहेबगंज 355, सरायकेला खरसावां 82, सिमडेगा 252.3, पश्चिमी सिंहभूम 122.2 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई है। पूरे झारखंड में अब तक कुल 119 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई है जबकि सामान्य रुप से अब तक वर्षापात 206.5 मिमी की जरुरत है। यानी सामान्य से 87 मिमी वर्षा कम हुई है। पिछले वर्ष 2022 में इस तिथि तक सामान्य से 47 प्रतिशत यानी सिर्फ 99 मिमी वर्षा हुई थी।
वर्ष 2022 में 22 जिलों में सुखाड़ की थी स्थिति :
वर्ष 2022 में भी 18 जून को मानसून ने झारखंड में प्रवेश किया था। पूरे मानसून सीजन में सिर्फ 817.6 मिमी वर्षा हुई थी। राज्य सरकार को सिमडेगा और पूर्वी सिंहभूम को छोड़ 22 जिलों के 226 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित करना पड़ा था। कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार पिछले वर्ष करीब 30 लाख किसान प्रभावित हुए थे। राज्य में करीब 38 लाख हेक्टेयर जमीन खेती लायक है। इनमें से सिर्फ 22.38 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाती है। राज्य में मानसून सीजन में 1022.9 मिमी वर्षा को सामान्य माना जाता है। मौसम विभाग के पिछले नौ साल के आंकड़ों को देखें तो सात साल यहां मानसून देरी से पहुंचा है और 2016 व 2021 को छोड़कर हर बार सामान्य से कम वर्षा हुई है। वहीं वर्ष 2018 में मानसून सबसे ज्यादा देरी से 25 जून को झारखंड में प्रवेश किया था और उस बार सबसे कम 784.4 मिमी वर्षा हुई थी। अबकी बार भी कमोबेश यही हाल है। ऐसे में किसान परेशान होने लगे हैं।
किसानी पर असर पड़ने की संभावना :
खरीफ सीजन की झारखंड की मुख्य फसल धान है। इसके अलावे मक्का, दलहन व तिलहन की खेती होती है। 2 मार्च 2023 को विधानसभा पटल पर रखे गए राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के मुताबिक वर्ष 2022-23 के खरीफ सीजन में राज्य में 28.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई का लक्ष्य रखा गया था लेकिन 14.13 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई। यानी करीब 50 प्रतिशत हिस्से में खेती नहीं हो पाई। इस सीजन में धान की कुल बुआई 7,37,280 हेक्टेयर में हुई, जो 2021-22 में दोगुना से ज्यादा 17,63,550 हेक्टेयर थी। इसी तरह 2021-22 में 2,72,600 हेक्टेयर में मक्के की खेती हुई थी लेकिन 2022-23 में घटकर 2,04,290 हेक्टेयर रह गई। दलहन की बुआई भी 4,45,140 से घटकर 3,31,630 हेक्टेयर और मोटा अनाज 20,730 से घटकर 11,900 हेक्टेयर रह गई। बुआई के साथ-साथ उत्पादन पर भी सूखे का असर देखा गया। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार धान का उत्पादन 2021-22 में 53,65,170 टन था जबकि सूखे के कारण 2022-23 में केवल 18,32,210 टन ही हो पाया। यानी उत्पादन में लगभग 292 प्रतिशत गिरावट आई। 2021-22 में 6,06,430 टन मक्के का उत्पादन हुआ था लेकिन यह भी 2022-23 में घटकर 4,35,870 टन ही रह गया।
कुछ ऐसा रहेगा राजधानी का तापमान :
3 जुलाई : सामान्यत: बादल छाए रहेंगे मेघ गर्जन या वर्षा हो सकती है, अधिकतम 34 और न्यूनतम 24 डिग्री सेल्सियस
4 जुलाई : आंशिक बादल छाए रहेंगे, एक दो बार हल्की या मध्यम दर्जे की वर्षा होने की संभावना, अधिकतम 33 और न्यूनतम 24 डिग्री सेल्सियस
5 जुलाई : आंशिक बादल छाए रहेंगे, एक दो बार हल्की या मध्यम दर्जे की वर्षा होने की संभावना, अधिकतम 32 और न्यूनतम 23 डिग्री सेल्सियस
6 जुलाई : आंशिक बादल छाए रहेंगे, एक दो बार हल्की या मध्यम दर्जे की वर्षा होने की संभावना, अधिकतम 31 और न्यूनतम 24 डिग्री सेल्सियस।
किसानों को ये दी गई सलाह :
– बीएयू के कृषि विज्ञानियों ने ऊपरी भूमि (टांड़ जमीन) में कम अवधि एवं कम पानी की आवश्यकताओं वाली खरीफ फसलों में मडुआ (रागी), मकई, अरहर, उरद, मूंग, सरगुजा, ज्वार, बाजरा, सोयाबीन एवं सरगुजा की सीधी बुआई करने की सलाह दी है
– फसलों की बुआई मेढ़ बनाकर करें ताकि मेढ़ के बीच नालियों में वर्षा जल संचयन हो सके
– अत्यधिक वर्षा की स्थिति में जलजमाव से पौधा नहीं गलेगा और मिट्टी का क्षरण भी कम होगा
– बुआई किए जा चुके खेत में अंकुरण सामान्य रूप से नहीं होने की स्थिति में पुनः बुआई करने तथा एक ही जगह पौधों की संख्या अधिक होने पर उसे उखाड़कर खाली जगह पर लगाएं
– मडुआ (रागी) की सफल खेती के लिए 95-120 दिनों में तैयार होने वाली किस्मों में ए-404, बिरसा मडुआ-2, बिरसा मडुआ-3, जेपीयू-28, जेपीयू-67 एवं वीएल-149 में से किसी एक किस्म का करें चुनाव
– अरहर की उन्नत किस्मों में उपास-120 या बिरसा अरहर-1
– उड़द के उन्नत किस्मों में बिरसा उड़द-1, डब्ल्यूबीयू-10, पंत यू-19, पंत यू-31, पंत यू-35, पंत यू-40
– मूंग की उन्नत किस्मों में एचयूएम-16 या आइपीएम 2-3
– ज्वार की उन्नत किस्मों में सीएसवी-1616, सीएसवी-17, सीएसएच-16 में से किसी एक किस्म का करें चुनाव – दलहनी और तेलहनी फसल की बुआई से पूर्व खेतों की मिट्टी की अम्लीयता को दूर करने के लिए खेतों के कतार में 1.5 से 2 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से बुझा चुना या डोलोमाइट का करें प्रयोग
– मौजूदा मानसून की स्थिति से धान की सीधी बुआई करने की सलाह दी गई
– कम अवधि में तैयार होने वाली किस्मों में बिरसा विकास धान-110, बिरसा विकास धान-111, वंदना, ललाट, नवीन, सहभागी, आइआर-64 (डीआरटी -1) में से किसी एक किस्म का करें चुनाव
– मकई की खेती में भी कम अवधि वाली किस्मों में बिरसा मकई-1, बिरसा विकास-2, प्रिया एवं विवेक में से किसी किस्म की सीधी बुआई की जा सकती है।