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सावन की दूसरी सोमवारी क्यों है इतना खास? सोमवती अमावस्या और हरियाली अमावस्या को किसका करें पूजन?

by Rakesh Pandey
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स्टेट डेस्क,रांची : सावन की दूसरी सोमवारी इस बार 17 जुलाई को पड़ेगी। भगवान शिव के दिव्य दर्शन के लिए भक्तों में उत्साह अभी से भी दिखना शुरू हो गया है। दूर के बड़े शिव मंदिरों में भगवान शिव के दर्शन के लिए अभी से ही भक्त खुले पैर गंगा जल लेकर कंधे पर काँवर लेकर निकल पड़े हैं। सभी भक्त सोमवार को बाबा पर जल चढ़ाएंगे।

धर्म आचार्यों का कहना है कि 17 जुलाई को सोमवारी के दिन भक्तों को भगवान शिव का जलाभिषेक करने से चार गुना पुण्य की प्राप्ति होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन सोमवती अमावस्या भी पड़ेगी। सोमवती अमावस्या 17 जुलाई को सुबह 10:09 बजे से 12:02 बजे तक रहेगी। साथ ही इस दिन हरियाली अमावस्या और संक्रांति भी है। ऐसा माना जाता है कि इस योग में भगवान शिव को विधि विधान से पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की पूजा करने से बहुत सारे लाभ मिल सकते हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त हो सकती है। भगवान शिव के विशेष अनुकरण और उपासना से मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।

पापों का नाश हो सकता है। आत्मिक शुद्धि होती है। इस दिन किसी विशेष शिव मंदिर जाकर भगवान शिव की पूजा, अर्चना और अभिषेक करने से विशेष लाभ मिलता है।
क्या है सोमवती अमावस्या के बारे में मान्यता

आचार्य राकेश मोहन शास्त्री के अनुसार सोमवती अमावस्या का व्रत रखने से पुरुषों और स्त्रियों को आयुष्य वृद्धि, सुख, धन, स्वास्थ्य और संतान की प्राप्ति होती है। इस दिन अमावस्या के व्रत के दौरान सोमवती अम्बा की पूजा की जाती है और उनकी कथा सुनी जाती है। यह व्रत संतान की कामना रखने वाले लोगों के बीच विशेष लोकप्रिय है।

सावन का दूसरा सोमवार क्यों है विशेष

सावन के दूसरे सोमवार को 4 शुभ संयोग पड़ रहे हैं। इस दिन
सोमवती अमावस्या के अलावा हरियाली अमावस्या, रुद्राभिषेक शिववास, और पुनर्वसु नक्षत्र पड़ेगा।

सोमवती अमावस्या
सोमवती अमावस्या को भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करने से विशेष रूप से विवाहिता महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

हरियाली अमावस्या
सावन के दूसरे सावन को हरियाली अमावस्या पड़ेगी। इस दिन अति शुभ संयोग बन रहा है। हरियाली अमावस्या को पेड़, पौधा लगाना शुभ माना जाता है। तुलसी,शमी, पीपल, बर, नीम, आँवला पौधा लगाने से पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से देव और हमारे पितर दोनों ही प्रसन्न होते हैं।

शिववास

सावन के दूसरी सोमवारी को भगवान शिव व माता पार्वती के साथ रहेंगे। इस दिन भगवान शिव की रुद्राभिषेक करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। शिववास के बिना रुद्राभिषेक का कोई फल की प्राप्ति नहीं होती। रुद्राभिषेक से पहले ये जानना जरूरी होता है कि भगवान शिव अभी किस स्थान पर विराजमान है।

भगवान शिव के सभी अवस्थाओं में माता पार्वती के साथ रहना भक्तों के लिए अति फल दायी होता है।

पुनर्वसु नक्षत्र
सावन की दूसरी सोमवारी पुनर्वसु नक्षत्र में है। यह अत्यंत शुभ नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र में भगवान शिव की पूजा करने से कई गुना फलों का लाभ होता है । मान्यताओं के अनुसार देवताओं की माता अदिति पुनर्वसु नक्षत्र की इष्ट देवी माना गया है।

 

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