सेंट्रल डेस्क : संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार यानी 25 नवंबर से शुरू हो रहा है, जो 20 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र में कुल 16 विधेयक पेश किए जाने की तैयारी है, जिनमें से पांच नए विधेयक होंगे, जबकि 11 पहले से लंबित विधेयकों को फिर से चर्चा के लिए लाया जाएगा। सरकार ने इन विधेयकों को इस सत्र में पारित करने के लिए पूरी तैयारी कर ली है, लेकिन विपक्षी दलों के तेवर देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सत्र हंगामेदार हो सकता है।
विधेयकों की सूची:
संसद के शीतकालीन सत्र में पांच नए विधेयकों को पेश किया जाएगा, जिनमें सहकारिता विश्वविद्यालय से संबंधित एक विधेयक, वक्फ (संशोधन) विधेयक, मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना से जुड़े विधेयक, और आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ लंबित विधेयकों पर भी चर्चा की जाएगी, जैसे कि पंजाब न्यायालय (संशोधन) विधेयक, मर्चेंट शिपिंग बिल, रेलवे (संशोधन) विधेयक, गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व से संबंधित विधेयक, बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक और कोस्टल शिपिंग बिल।
विपक्ष का रुख
विपक्षी दलों की ओर से शीत सत्र के लिए पहले ही अपनी प्राथमिकताएं जाहिर की जा चुकी हैं। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने सरकार से दो प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की मांग की है – पहला, अडानी समूह के खिलाफ लगे रिश्वतखोरी के आरोपों और दूसरा, मणिपुर में हुई हिंसा पर। कांग्रेस के नेताओं ने मांग की है कि इन मुद्दों पर संसद में विस्तार से चर्चा हो, ताकि सरकार अपने विचार स्पष्ट कर सके। इसके अलावा, उत्तर भारत में वायु प्रदूषण और हाल के ट्रेन हादसों पर भी विपक्ष ने चर्चा की मांग की है।
सर्वदलीय बैठक में उठे मुद्दे
इस सत्र से पहले रविवार को सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने अडानी समूह और मणिपुर हिंसा जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि विपक्ष इन दोनों मुद्दों पर प्रमुखता से चर्चा करना चाहता है। वहीं, कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रंजीत (रंजीता) रंजन ने एयर पॉल्यूशन पर शून्यकाल में चर्चा करने के लिए नोटिस दिया है।
विपक्ष की रणनीति
शीत सत्र की शुरुआत से पहले, विपक्षी दलों ने एक बैठक बुलाई है, जो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में होगी। इस बैठक में विपक्षी दलों के नेता आगामी सत्र के लिए अपनी रणनीति तैयार करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि सरकार पर दबाव बनाया जाए।
वक्फ विधेयक पर टकराव
वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर पहले ही सरकार और विपक्षी दलों के बीच टकराव देखा जा चुका है। जेपीसी द्वारा इस विधेयक पर चर्चा की गई थी, लेकिन विपक्षी दलों ने समय की कमी का हवाला देते हुए इसकी समीक्षा के लिए और समय देने की मांग की है। वहीं, एक देश-एक चुनाव पर रिपोर्ट पहले ही सरकार को सौंप दी जा चुकी है, लेकिन इसके संदर्भ में कोई विधेयक अभी तक संसद में पेश नहीं किया गया है।
एनडीए की स्थिति और आगामी सत्र
पिछले कुछ समय में एनडीए खेमे को उपचुनावों में मिली जीत ने सरकार को उत्साहित किया है। हरियाणा, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में मिली भारी जीत ने एनडीए को एक नया बूस्टर दिया है, जो इस शीतकालीन सत्र में भी दिखाई दे सकता है। सरकार विपक्ष के हर कदम का काउंटर करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
संसद का शीतकालीन सत्र अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा। जहां एक ओर सरकार विभिन्न विधेयकों को पारित करवाने की कोशिश में जुटी है, वहीं विपक्ष भी अपने सवालों और मुद्दों को लेकर सरकार पर दबाव बनाए रखने की तैयारी में है। इस सत्र में कई अहम फैसले हो सकते हैं, जो आने वाले समय में देश की राजनीति और विकास की दिशा तय करेंगे।
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