नई दिल्लीः नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि मां कालरात्रि के दर्शन से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं। उनका नाम सुनते ही बुरी शक्तियाँ दूर भाग जाती हैं। आइए, जानते हैं मां कालरात्रि की पूजा विधि, भोग, मंत्र और आरती के बारे में।
मां कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि का रूप विकराल है। उनका वर्ण काला है, तीन नेत्र हैं, और उनके खुले हुए केश हैं। वे गर्दभ की सवारी करती हैं और उनके गले में मुंड की माला है। मां कालरात्रि की पूजा करने से भय का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
मां कालरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:45 से 12:30 बजे तक है। इस समय में की गई पूजा फलदायी होती है।
पूजा विधि
-स्नान और वस्त्र: सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
-कलश का पूजन: सबसे पहले कलश की पूजा करें।
-मां के सामने दीपक जलाना: मां के सामने दीपक जलाएं और अक्षत, रोली, फूल, फल आदि अर्पित करें।
-फूल अर्पित करना: मां कालरात्रि को लाल रंग के पुष्प, जैसे गुड़हल या गुलाब, अर्पित करें।
-आरती: दीपक और कपूर से मां की आरती करें।
-मंत्र जाप: लाल चंदन या रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करें।
-भोग अर्पित करना: मां कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाएं और गुड़ का दान करें।
मां कालरात्रि का भोग
मां कालरात्रि की पूजा के समय गुड़ का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा गुड़ से बनी मिठाई और हलवा भी अर्पित कर सकते हैं।
पूजा का महत्व
मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति सभी प्रकार के दुख और संकटों से मुक्ति पाता है। शास्त्रों के अनुसार, उनकी पूजा से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और जीवन तथा परिवार में सुख-शांति का वास होता है।इस नवरात्रि, मां कालरात्रि की कृपा से अपने जीवन में सुख और समृद्धि लाएं!
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