सेंट्रल डेस्क। साल 2024 जाने को है और 2025 के स्वागत के लिए हम सब तैयार है। जाते साल में राजनीति में भी काफी उथल-पुथल हुई। कई तख्तापलट से लेकर कई राजनीतिक विघटन, ईवीएम पर इल्जाम, सदन में धक्का-मुक्की से लेकर सिर फूटवल तक। ऐसे में एक नजर राजनीति की सालभर की उठापटक पर डालते है-
अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद पहली बार कश्मीर में हुए ऐतिहासिक चुनावों से लेकर 24 साल बाद ओडिशा में बीजद को सत्ता से हटाने तक, इस साल का चुनावी परिदृश्य बदल गया, वर्ष 2024 में कम से कम आठ राज्यों में हुए राज्य चुनावों के मैदान में तीव्र टकराव देखा गया। साल 2024 पर पर्दा ढलते ही पार्टियों ने दिल्ली और बिहार में अपनी अगली लड़ाई की तैयारी भी शुरू कर दी है।
2024 में, भारत के चुनाव पैनल ने जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव कराया, अनुच्छेद 370 को निरस्त कर छह साल के राष्ट्रपति शासन को समाप्त करते हुए कश्मीर में चुनाव आयोजित किए गए। साथ ही सौ से अधिक घुसपैठियों और जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी हमलों के बीच बाढ़ की खबरों ने भी इस साल चिंता बढ़ाई।
BJP की हरियाणा, महाराष्ट्र के चुनावों में शानदार वापसी
चुनाव आयोग ने अपना प्रदर्शन जारी रखा और इस साल के अंत में हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव सुचारू रूप से संपन्न हुए। 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद विपक्ष राज्यों में चुनावों की अगली पारी के लिए आश्वस्त था, क्योंकि असंतोषजनक परिणामों के बाद बीजेपी को झटका लगा था। हालांकि, बीजेपी ने हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों में शानदार अंदाज में वापसी करते हुए अपनी चुनावी जीत फिर से हासिल कर ली।
कुछ ऐसे चुनाव, जिसने भारत का राजनीतिक पारिदृश्य बदल दिया-
अरुणाचल प्रदेश: बीजेपी की मौजूदा अरुणाचल प्रदेश सरकार का बरकरार रहना, क्योंकि उन्होंने 2024 के चुनावों में 46 सीटें जीतीं, जो 2019 के 41 सीटों से अधिक रही। राज्य में अन्य दलों के प्रदर्शन के अनुसार, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने 5 सीटों के साथ दूसरा स्थान हासिल किया, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को 3, पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) को 2, इंडियन नेशनल कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट मिली, जबकि तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने दावा किया।
ऐतिहासिक रूप से गौर करें, तो 1985 के चुनावों के बाद अरुणाचल प्रदेश राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का दबदबा रहा, 2019 का चुनाव पहला उदाहरण था जब कांग्रेस अरुणाचल प्रदेश में राज्य विधानसभा चुनाव हार गई थी। गौरतलब है कि बीजेपी ने पहले ही राज्य में 10 सीटें निर्विरोध जीत ली थी, क्योंकि विपक्ष इन सभी 10 सीटों पर किसी भी उम्मीदवार को मैदान में उतारने में विफल रहा था।
सिक्किम: सत्तारूढ़ सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने विधानसभा चुनाव 2024 में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाकर 31 कर ली, जो 2019 में केवल 17 थी। मार्च में बीजेपी ने एसकेएम को ”भ्रष्ट” बताते हुए उससे गठबंधन तोड़ लिया था। दूसरी ओर, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ), जिसने 2019 तक लगातार 25 वर्षों तक राज्य पर शासन किया, ने मात्र एक सीट जीती। जब कि 2019 में पार्टी ने 15 सीटें जीती थीं। 2014 के बाद से, जब एसडीएफ ने पहली बार चुनाव लड़ा था, पार्टी ने एसकेएम को विधानसभा से हटा दिया था।
बीजेपी ने 31 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन सिक्किम में एक भी सीट नहीं जीत पाई। जहां निवर्तमान सदन में बीजेपी के 12 सदस्य थे। बीजेपी को हिमालयी राज्य में केवल 5.18 प्रतिशत वोट मिले। पार्टी ने मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व वाले सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद सिक्किम विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया।
आंध्र प्रदेशः विधानसभा चुनाव में चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाले टीडीपी-बीजेपीएसपी गठबंधन ने वाईएसआर जगन मोहन रेड्डी सरकार को हराकर 175 में से 165 सीटें जीत लीं। अकेले टीडीपी ने 136 सीटों के साथ बहुमत का आंकड़ा पार किया, पूर्व सीएम नायडू की स्थिति को मजबूत किया, क्योंकि वह 2019 के विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी की करारी हार के बाद अपनी वापसी कर रहे थे। बीजेपी ने राज्य में आठ सीटें जीतीं, जो कि 2019 के चुनावों से बेहतर रहा।
ओडिशा: बीजू जनता दल के दशक से चले आ रहे शासन में बीजेपी के लिए यह ऐतिहासिक जीत थी। विधानसभा चुनाव में पटनायक की पार्टी बीजद को बीजेपी ने पांच बार सत्ता से बाहर कर दिया था। बीजेपी ने ओडिशा में 147 सदस्यीय विधानसभा में 78 सीटें जीतकर बीजद के 24 साल के शासन का खात्मा किया। दूसरी ओर, पटनायक के नेतृत्व वाली पार्टी ने 51 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 14 सीटें जीतीं, माकपा ने एक सीट जीती। तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी विजयी हुए। बीजद राज्य में कोई भी लोकसभा सीट जीतने में नाकाम रही, बीजेपी ने 20 और कांग्रेस ने एक सीट जीती।
जम्मू-कश्मीरः विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 29 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि 2014 के चुनाव में यह आंकड़ा 25 सीटों तक ही पहुंचा था। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बीजेपी को 25.94 फीसदी वोट मिले। केंद्र शासित प्रदेश के लोगों ने 90 विधानसभा सीटों में से 49 के साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी)-कांग्रेस-सीपीआई (एम) गठबंधन को ऐतिहासिक जनादेश दिया। आखिरी बार किसी पार्टी ने 1996 के विधानसभा चुनाव में बहुमत का आंकड़ा पार किया था।
हरियाणाः भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में 90 में से 48 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की। यह जीत कई कारणों से महत्वपूर्ण रही, जो पार्टी की रणनीतिक स्थिति और हरियाणा में विकसित हो रहे राजनीतिक परिदृश्य दोनों को दर्शाती है। बीजेपी हरियाणा में जीत की हैट्रिक हासिल करने वाली पहली पार्टी बनी। यह उपलब्धि न केवल राज्य की राजनीति में पार्टी के प्रभुत्व को उजागर करती है, बल्कि भविष्य के चुनावों के लिए एक मिसाल कायम करती है।
झारखंड: साल 2024 का झारखंड चुनाव एक मनोरंजक राजनीतिक फिल्मी पटकथा की तरह सामने आया, एक कथा जो रहस्य, अप्रत्याशित मोड़ और अप्रतिम वापसी से भरी थी। साल की शुरुआत बॉलीवुड थ्रिलर की तरह हुई, जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दिल्ली से रहस्यमयी तरीके से गायब होने के बाद कई अटकलें लगाई गईं। इसने जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन के वफादार सहयोगी चंपई सोरेन को पार्टी नेता के रूप में चुनने के लिए प्रेरित उकसाया।
चंपई फरवरी में राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए और सत्तारूढ़ जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन ने बहुमत साबित किया। हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले गठबंधन ने नवंबर में 81 सदस्यीय विधानसभा में 56 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल की, जबकि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को केवल 24 सीटें मिली थीं।
महाराष्ट्रः प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने शानदार जीत हासिल की। बीजेपी ने अपने दम पर 130 से अधिक सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि महायुति गठबंधन को 225 सीटें मिली। यह 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी को मिली बड़ी चोट से इतर था। महज छह महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी ने 400 से अधिक सीटों का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा था। लेकिन पार्टी बुरी तरह विफल रही और पार्टी बहुमत का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी, लोकसभा में केवल 240 सीटें जीतीं, जो 2019 में जीती 303 सीटों से काफी कम थीं।