जमशेदपुर : टिकट नहीं मिलने से आहत होकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) से इस्तीफा दे चुकीं पोटका की पूर्व विधायक मेनका सरदार ने अपना निर्णय बदल दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के काफी मान-मनौव्वल के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा वापस लेने का फैसला किया है। इस संबंध में उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को पत्र लिखकर जानकारी दी है।
पत्र में मेनका सरदार ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और अन्य सभी जिम्मेदारियों से इस्तीफा देने का आवेदन किया था। लेकिन, प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, केंद्रीय कृषि मंत्री, पार्टी के प्रदेश महामंत्री, और स्थानीय कार्यकर्ताओं के लगातार आग्रह पर उन्होंने अपना फैसला बदलने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के प्रति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने के लिए फिर से तैयार हैं।
सोमवार की सुबह “द फोटोन न्यूज” के साथ एक टेलीफोनिक बातचीत के दौरान मेनका सरदार ने कहा था कि इस्तीफा देने के बाद से वह घर में रह रही हैं और किसी पार्टी गतिविधि में शामिल नहीं हो रही हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता अब भी अपने कार्यों में जुटे हुए हैं, क्योंकि उन्होंने पूरी तरह से पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया था। इसके अतिरिक्त, उन्होंने पोटका से पार्टी की प्रत्याशी मीरा मुंडा को विजयश्री का आशीर्वाद भी दिया था, जिससे यह प्रतीत हो रहा था कि उनका भाजपा से पूरी तरह मोहभंग नहीं हुआ है।
सोमवार की दोपहर में भाजपा के राज्यसभा सांसद आदित्य साहू भी मेनका सरदार से मुलाकात करने और उन्हें मनाने के लिए उनके घर पहुंचे थे। इस मुलाकात के बाद, मेनका सरदार ने अपने निर्णय पर पुनर्विचार किया और पार्टी में वापस लौटने का मन बना लिया। इसके बाद उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को पत्र लिखकर अपने इस्तीफे को वापस लेने की इच्छा जताई।
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि मेनका सरदार का भाजपा से भावनात्मक जुड़ाव अभी भी कायम है। भले ही टिकट नहीं मिलने से वह असंतुष्ट थीं, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के निरंतर प्रयासों ने उन्हें पार्टी के साथ बने रहने के लिए प्रेरित किया।
“द फोटोन न्यूज” को प्राप्त एक पत्र में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि मेनका सरदार ने अपने लैटरपैड पर यह पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने इस्तीफा वापस लेने के संबंध में प्रदेश अध्यक्ष को जानकारी दी है। हालांकि, इस संबंध में उनसे संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि मेनका सरदार के इस निर्णय से भाजपा की स्थानीय इकाई को मजबूती मिलेगी और पार्टी के अंदरूनी कलह को कम करने में मदद मिलेगी।
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