फीचर डेस्क : तुलसी विवाह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पवित्र उत्सव है, जिसे विशेष रूप से दांपत्य जीवन की सुख-शांति के लिए मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप के साथ माता तुलसी का विवाह संपन्न होता है। इस धार्मिक अनुष्ठान की मान्यता है कि इसे विधिपूर्वक करने से व्यक्ति के दांपत्य जीवन में सुख-शांति और घर में समृद्धि का वास होता है। आज यानी मंगलवार की शाम को सभी लोग तुलसी विवाह करेंगे।
तुलसी विवाह का महत्व
तुलसी विवाह का महत्व शास्त्रों में गहरे रूप से बताया गया है। कहते हैं कि तुलसी माता का जन्म वृंदा के रूप में हुआ था, जो भगवान विष्णु की परम भक्त थीं। तुलसी को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है और उनके पूजन से घर में समृद्धि का वास होता है। विशेष रूप से जब तुलसी और शालिग्राम का विवाह होता है, तो यह वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
विधिपूर्वक पूजा से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और सारे क्लेश समाप्त हो जाते हैं। विशेषकर इस दिन को दांपत्य जीवन में आई समस्याओं को दूर करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
आज योग निद्रा से जागेंगे पालनहार
देवउठनी एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, जो इस वर्ष 12 नवंबर को है। इस दिन का महत्व इस कारण भी है कि भगवान विष्णु चार माह के योग निद्रा (विश्राम) से जागते हैं। इस दिन से ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है, जो चार माह से रुके थे। देवउठनी एकादशी के दिन विशेष पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में समृद्धि आती है।
देवउठनी एकादशी व्रत विधि
देवउठनी एकादशी का व्रत करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस दिन व्रती को निर्जल या केवल जलीय पदार्थों पर उपवास रखना चाहिए। जो लोग व्रत नहीं कर सकते, वे केवल एक समय का फलाहार कर सकते हैं। इस दिन चावल और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। पूजा विधि में भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और विशेष रूप से ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
देवउठनी एकादशी की पूजन विधि
देवउठनी एकादशी के दिन घर में गन्ने का मंडप बनाना शुभ होता है। इस मंडप के बीच में चावल के आटे से एक चौका बनाया जाता है। चौका में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाता है। फिर भगवान के चरण चिह्न बनाकर पूजन किया जाता है। भगवान को गन्ने, पानी सिंघाड़ा, मौसमी फल और मिठाई अर्पित की जाती है, और दीपक जलाया जाता है।
इसके बाद शंख, घंटी और भजन कीर्तन से भगवान को जगाया जाता है। इस दिन को लेकर हर स्थान पर पूजा विधि में थोड़ा भेद हो सकता है, लेकिन अंततः यह पूजा सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों की शुरुआत करने के लिए शुभ मानी जाती है।
तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी का संयोग
तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी का संयोग अत्यधिक शुभ माना जाता है। जब दोनों पर्व एक साथ होते हैं, तो इसका प्रभाव दोगुना होता है। इस दिन तुलसी विवाह और भगवान विष्णु की पूजा करने से दांपत्य जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका दांपत्य जीवन सुखमय और समृद्ध हो, तो इस दिन तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी दोनों का पूजन विधिपूर्वक करें।
तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी दोनों ही पर्व हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखते हैं। इन दोनों का सही समय पर पूजन और उपवास करना व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और शांति लाता है। इस दिन के विशेष मुहूर्त और पूजा विधि का पालन करके हम अपनी भक्ति को समर्पित कर सकते हैं और अपने जीवन को संपूर्ण रूप से धन्य बना सकते हैं।
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