फीचर डेस्क : हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। प्रत्येक एकादशी की अपनी एक अलग महिमा और उपासना विधि होती है। इस साल की पहली एकादशी, पौष पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी को है। यह एकादशी संतान प्राप्ति और संतान की समस्याओं के समाधान के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान संबंधी सभी समस्याओं का समाधान होता है। आइए, जानते हैं इस व्रत के नियम, सावधानियां और कुछ दिव्य उपाय, जिन्हें अपनाकर आप अपने संतान सुख को बढ़ा सकते हैं।
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत के नियम
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति और संतान की उन्नति के लिए किया जाता है। इस दिन उपवास रखने से संतान संबंधी सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है। इस व्रत को दो प्रकार से रखा जा सकता है:
निर्जल व्रत : इस व्रत को पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति को ही रखना चाहिए। इस उपवास में केवल जल का सेवन किया जाता है और सभी प्रकार के खाने-पीने से परहेज किया जाता है।
फलाहारी या जलीय व्रत : यह व्रत उन लोगों के लिए है, जो निर्जला उपवास नहीं रख सकते। इसमें केवल फल, जल और दूध से बने पदार्थों का सेवन किया जाता है।
इस व्रत के दौरान संतान संबंधी मनोकामनाओं के लिए भगवान श्री कृष्ण या श्री हरि की उपासना करनी चाहिए। उनके आगे अपनी प्रार्थना व्यक्त करें और व्रत का पालन करें।
पुत्रदा एकादशी पर बरतें ये सावधानियां
तामसिक भोजन से परहेज : एकादशी के दिन घर में लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन बिल्कुल न बनाएं। इनसे शरीर और मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
सात्विक वातावरण बनाए रखें : पूजा-पाठ के दौरान घर का माहौल शांतिपूर्वक रखें और सात्विक भोजन ही करें।
शुद्धता का ध्यान रखें : पूजा करते वक्त शुद्ध और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। मानसिक और शारीरिक शुद्धता बनाए रखें।
झूठ न बोलें : एकादशी के दिन सत्य बोलने का संकल्प लें और किसी भी प्रकार का मिथ्या व्यवहार न करें।
दिव्य उपाय : संतान की उन्नति और सुख के लिए
- संतान की कामना
अगर आप संतान प्राप्ति के इच्छुक हैं, तो इस दिन पति-पत्नी को एक साथ श्रीकृष्ण की उपासना करनी चाहिए। उन्हें पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें। इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप के बाद पति-पत्नी एक साथ प्रसाद ग्रहण करें, जिससे संतान सुख की प्राप्ति हो। - संतान की उन्नति के लिए सूर्य यंत्र
अगर आप संतान की उन्नति और उसके भाग्य में वृद्धि चाहते हैं, तो पौष पुत्रदा एकादशी के दिन अपने घर में सूर्य यंत्र की स्थापना करें। सूर्य यंत्र की पूजा करें और उसे धूप, दीप, गंध आदि से अभिषेक करें। यह यंत्र आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगा और संतान की उन्नति के मार्ग को खोलेंगे। - संतान गोपाल मंत्र
संतान गोपाल मंत्र का जाप करने से संतान प्राप्ति की बाधाएं दूर होती हैं। यह मंत्र विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए प्रभावी माना जाता है। संतान गोपाल मंत्र इस प्रकार है:
“ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम् गता।”
इसके साथ ही “ॐ क्लीं कृष्णाय नमः” मंत्र का भी जाप करें, जिससे संतान सुख प्राप्ति के योग मजबूत होते हैं।
- दान-पुण्य का महत्व
पुत्रदा एकादशी के दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और संतान सुख के योग बनते हैं। आप अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र या धन दान कर सकते हैं। दान से न केवल पुण्य मिलता है, बल्कि यह संतान सुख की प्राप्ति में सहायक भी होता है।