रांची : झारखंड हाईकोर्ट में सोमवार को लोकायुक्त, मानवाधिकार आयोग, मुख्य सूचना आयुक्त, सूचना आयुक्त समेत अन्य संवैधानिक पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि नेता प्रतिपक्ष के चुनाव का न होना इन नियुक्तियों में एक बड़ी अड़चन बन रही है।
संवैधानिक पदों की रिक्तियां बनी चुनौती
राज्य के कई महत्वपूर्ण संवैधानिक पद, जैसे लोकायुक्त, मानवाधिकार आयोग, राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त कुछ वर्षों से रिक्त पड़े हैं। इन पदों को भरने के लिए हाईकोर्ट ने बार-बार सरकार को निर्देशित किया है। हालांकि, नेता प्रतिपक्ष के चयन की प्रक्रिया अटक जाने के कारण इन नियुक्तियों में देरी हो रही है।
कोर्ट ने निर्धारित की अगली सुनवाई की तिथि
राज्य सरकार के इस बयान के बाद, हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए मार्च माह के अंतिम सप्ताह का समय निर्धारित किया है। हाईकोर्ट ने सरकार को इस मुद्दे पर शीघ्र समाधान निकालने की सलाह दी है।
क्या है नेता प्रतिपक्ष का महत्व?
राज्य के संवैधानिक पदों पर नियुक्ति के लिए नेता प्रतिपक्ष की भूमिका अहम होती है। ये नियुक्तियां राज्य सरकार और विपक्ष दोनों के विचारों के सामंजस्य से की जाती हैं। नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति न होने के कारण इन नियुक्तियों में विलंब हो रहा है, जिससे प्रदेश की कार्य प्रणाली प्रभावित हो रही है।