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Sahitya Academy Yuva Puraskar Jharkhand : गुमला की बेटी पार्वती तिर्की को साहित्य अकादमी का युवा पुरस्कार

• रांची विश्वविद्यालय के रामलखन सिंह यादव कॉलेज में हिंदी विभाग में अध्यापिका हैं पार्वती, उनके कविता संग्रह ‘फिर उगना’ के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया जायेगा

by Anand Mishra
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Ranchi/Gumla (Jharkhand) : झारखंड के लिए यह गर्व का क्षण है कि गुमला की रहने वाली और रांची के रामलखन सिंह यादव कॉलेज में हिंदी की अध्यापिका पार्वती तिर्की को प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी के युवा पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है। बुधवार को इस सम्मान की घोषणा की गई। पार्वती को यह पुरस्कार उनके पहले कविता संग्रह ‘फिर उगना’ के लिए दिया जाएगा, जो 2023 में राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ था।

प्रकृति और संस्कृति का सम्मान

इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुने जाने पर पार्वती तिर्की ने इसे संवाद का सम्मान बताया। उन्होंने कहा कि उनकी कविताएं आदिवासी जन समूह की प्रकृति और संस्कृति की बात करती हैं और इस सम्मान से उनका आत्मविश्वास और बढ़ेगा।

पुरस्कार में मिलेंगे 50 हजार रुपये और ताम्र पट्टिका

रांची विश्वविद्यालय के रामलखन सिंह यादव कॉलेज में हिंदी विभाग में अध्यापिका पार्वती को पुरस्कार स्वरूप 50 हजार रुपये नकद और एक ताम्र पट्टिका प्रदान की जाएगी। साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार, साहित्य अकादमी द्वारा 35 वर्ष से कम आयु के युवा लेखकों को 24 भारतीय भाषाओं में से किसी एक में उत्कृष्ट साहित्यिक कार्य के लिए दिया जाने वाला एक प्रतिष्ठित सम्मान है।

साधारण पृष्ठभूमि से असाधारण उपलब्धि

16 जनवरी 1994 को गुमला में जन्मी पार्वती तिर्की की शुरुआती शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय, गुमला में हुई। इसके बाद उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। उन्होंने वहीं से ‘कुडुख आदिवासी गीत : जीवन राग और जीवन संघर्ष’ विषय पर पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की है।

कविता, कहानी और लोकगीतों में गहरी रुचि

पार्वती तिर्की की कविता, कहानी और लोकगीतों में गहरी रुचि है। उनकी रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं, जिनमें इंद्रधनुष, सदानीरा, हिंदवी, समकालीन जनमत जैसे वेब पोर्टल प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त, उनकी कविताएं तद्भव, कथादेश, वनमाली कथा, इरावती, मधुमती, कृति बहुमत, सदानीरा (एंथ्रोपोसीन अंक) और समय के साखी जैसी प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुई हैं। वागर्थ और इंडिया टुडे वार्षिकी अंक में उनकी कहानियां भी प्रकाशित हुई हैं। उनकी कुछ कविताओं का ओड़िया, मराठी और अंग्रेजी भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है।

पहले भी मिल चुके हैं कई सम्मान

यह पहला मौका नहीं है जब पार्वती तिर्की को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया है। उन्हें पहले अपने काव्य संग्रह ‘फिर उगना’ के लिए प्रलेक न्यास द्वारा ‘प्रलेक नवलेखन सम्मान- 2023’ भी मिल चुका है। इसके अलावा, कविताओं के लिए उन्हें वनमाली सृजन पीठ द्वारा ‘विष्णु खरे युवा कविता सम्मान-2025’ भी प्राप्त हुआ है।

आठ पुस्तकों के बीच हुआ चयन

इस वर्ष साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार के लिए हिंदी की आठ पुस्तकें दौड़ में थीं। इनमें सौरभ जैन के निबंध ‘भारत भाग्य विधाता’, विहाग वैभव के कविता संग्रह ‘मोर्चे पर विदा गीत’, अदनान कफील दरवेश के कविता संग्रह ‘ठिठुरते लैंप पोस्ट’, पार्वती तिर्की की ‘फिर उगना’, शिव मोहन सिंह के खंड काव्य ‘श्रीकृष्ण अर्जुन संवाद’, प्रकृति करगेती का कहानी संग्रह ‘ठहरे हुए से लोग’, आकृति विज्ञा अर्पण का गद्यपत्र ‘लोकगीत सी लड़की’ और सांत्वना श्रीकांत के निबंध ‘भारतीय स्थिति और गति’ शामिल थे। इन सभी उत्कृष्ट कृतियों में से पार्वती तिर्की के ‘फिर उगना’ को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है, जो झारखंड के लिए एक बड़ी साहित्यिक उपलब्धि है।

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