Ranchi (Jharkhand) : अदालतों का सरकारों के कामकाज पर तीखी टिप्पणी करना कोई नई बात नहीं है, और ऐसा ही कुछ इन दिनों झारखंड में भी देखने को मिल रहा है। झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में एक एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर की मां की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा, “कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, चाहे वह डीजीपी ही क्यों न हो।”
अमन साहू एनकाउंटर: सीबीआई जांच की मांग, डीजीपी पर आरोप
यह पूरा मामला गैंगस्टर अमन साहू (Aman Sahu) के कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने से जुड़ा है। अमन साहू की मां किरण देवी (Kiran Devi) ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी थी और तस्वीरें भी उपलब्ध कराई थीं, जिस पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है। किरण देवी ने अपनी हस्तक्षेप याचिका में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि घटना से पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता (Anurag Gupta) ने अमन साहू को एनकाउंटर में मारने की धमकी दी थी, और बाद में इस घटना को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान (Tarlok Singh Chauhan) और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद (Sujit Narayan Prasad) की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। अदालत ने मौखिक रूप से अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार को प्रार्थी की ओर से दायर याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट इस मामले में बेहद सख्त नजर आ रही है।
पुलिस अधिकारियों पर FIR दर्ज करने की मांग, सुनवाई जारी
सुनवाई के दौरान, प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार (Hemant Kumar Sikarwar) ने अदालत को बताया कि अमन साहू की मां ने डीजीपी अनुराग गुप्ता, रांची के एसएससी चंदन कुमार सिन्हा (Chandan Kumar Sinha), एटीएस एसपी ऋषभ झा (Rishabh Jha) और इंस्पेक्टर पीके सिंह (P.K. Singh) के खिलाफ ऑनलाइन प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने के लिए आवेदन दिया है, लेकिन अभी तक इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। हाईकोर्ट का यह सख्त रुख राज्य के पुलिस प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है, और अब देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या जवाब दाखिल करती है और जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है। यह मामला राज्य में कानून-व्यवस्था और मानवाधिकारों को लेकर नई बहस छेड़ सकता है।
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